पुस्तक समीक्षा – मेरा आजीवन कारावास

भारत के स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित आत्मकथा “मेरा आजीवन कारावास” में लेखक ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए 22 आजीवन कारावास के समय कारावास जीवन की भीषण यातनाओं का ह्रदय विदारक चित्रण प्रस्तुत किया है।

पुस्तक को पूर्वार्ध और उत्तरार्ध दो भागों में बांटते हुए, इस के पूर्वार्ध में सावरकर ने स्वयं एवं स्थूल रूप में अंडमान स्थित पूरे राज बंदी वर्ग का विवरण देते हुए बंदियों के एकात्मक संगठन, साहस और धैर्य के साथ स्वदेश, स्वधर्म और जनसेवा की भावना के साथ अंडमान या आंदोलन का वृतांत दिया है। पुस्तक के उत्तरार्ध में राज बंदियों के स्वाबलंबन युक्त जीवन के साथ-साथ अंडमान के सार्वजनिक जीवन में नया जोश उत्पन्न करने के उत्कट प्रयासों का उल्लेख किया गया है।

भारत भूमि के पराक्रमी और शौर्यवान देशभक्त सावरकर ने इस पुस्तक के दोनों भागों में ब्रिटिश आतताइयों द्वारा दो आजीवन कारावास का दंड सुनाए जाने के बाद अपनी मन: स्थिति, भारत की विभिन्न जेलों में भोगी गई यातनाओं तथा अपमानपूर्ण जीवन की भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ अंडमान भेजे जाने पर जहाज पर कैदियों की नारकीय यात्रा का उल्लेख किया है। इसमें अंडमान के काला पानी की सजा के लिए सेल्यूलर जेल की विषम स्थितियों का क्रमबद्ध विवरण देते हुए बताया है, संवेदन शून्यता की पराकाष्ठा इस प्रकार थी कि बंदियों को छोटी-छोटी गलतियों पर अमानवीय शारीरिक एवं मानसिक यातनाएं तथा जेलर का क्रूरतम व्यवहार झेलना होता था। कारावास के दिनों की विषम परिस्थितियों में भी कैदियों में अहो रात्रि देशभक्ति और एकता की भावना प्रज्वलित करने और अनपढ़ कैदियों को साक्षर बनाने के प्रयास तथा बन्दीगृह के कठिन काल में विविध रचनात्मक कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया है। दृढ़ निश्चयी सावरकर की उत्कट देशभक्ति का एक-एक कृत्य भारत माता के शौर्य पूर्ण रक्त में ऊर्जा भर देने वाला था, जिसका स्पष्ट उल्लेख प्रस्तुत पुस्तक में सावरकर के स्वयं के शब्दों में इस प्रकार लिखा गया है कि बंदीगृह के नीरस जीवन को अपनी दृढ़ता और दूरदर्शिता से रचनात्मक कार्यों द्वारा भारत माता के स्वातंत्र्य के लिए प्रेरणादाई वातावरण में रूपांतरित कर दिया।

पुस्तक में विशेषत: सवा बालिश्त का हिंदू राज्य, हड़ताल और गिरता स्वास्थ्य, अंडमान में शुद्धि, मृत्यु शैया पर आदि लेख जनसामान्य की शिराओं को उद्वेलित करने के लिए पर्याप्त हैं। पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ की प्रत्येक पंक्ति का प्रत्येक शब्द सावरकर की विपरीत परिस्थितियों में दृढ़ इच्छाशक्ति एवं प्रेरणादायी ऊर्जा से ओतप्रोत है। ये शब्द जनसामान्य को उत्साहित और रोमांचित करने के साथ-साथ ऐसे वीर पुरुष के प्रति श्रद्धावनत करते हैं।

प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित 484 पृष्ठ की यह पुस्तक 400 रुपए मूल्य में उपलब्ध है।

प्रीति शर्मा

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