देखन आवे दूर – दूर से, ऐसा गांव बनाना है
देखन आवे दूर – दूर से, ऐसा गांव बनाना है
भेमई, 25 फरवरी। अखिल भारतीय प्रभात ग्राम मिलन के उद्घाटन में पूज्य श्री बापू दलसुखदास जी महाराज संजेली धाम ने कहा कि हमारा हिन्दू धर्म सृष्टि की उत्पत्ति के समय से है, 33 कोटि देवता हैं। जिनको जिसकी पूजा करनी है करे, जिसको भी जिसे भी मानना है, मान सकता है पर यह निश्चित है कि हम सब हिन्दू ही हैं। उन्होंने कहा, मैकाले ने ऐसी शिक्षा योजना बनाई कि आज मनुष्य मशीन जैसे बन गए हैं। हमारी संस्कृति को हर जगह तोड़ने के प्रयास हुए हैं। आज हमें ऐसे गॉंव बनाने हैं, जिन्हें देखने दूर दूर से लोग आएं।
डॉ. दिनेशचन्द्र ने कहा, हम पाँच वर्ष पूर्व ऐसी प्रभात ग्राम कार्यशाला में बेतूल मिले थे। हर 5 वर्ष में हम अपने कार्यों की समीक्षा के लिए इसी तरह मिलते हैं। प्रांत प्रचारक विजयानंद ने भी इस सत्र में अपने विचार रखे।
अखिल भारतीय प्रभात ग्राम मिलन में संघ रचना के 41 प्रांतों से 46 महिलाओं सहित 464 प्रतिभागी उपस्थित हैं। देशभर से आए प्रतिभागियों के आवास की व्यवस्था भेमई सहित आसपास के ग्रामों जैसे घाटा का गांव, चीतरी, सेमलिया घाटा आदि में की गई है। सभी महिलाओं एवं ग्राम विकास अधिकारियों का निवास भेमई गांव में ही रखा गया है।
राजस्थान क्षेत्र के ग्राम विकास के 30 गाँवों से 60 कार्यकर्ता इस कार्यशाला में उपस्थित हैं। मालवा प्रांत से सर्वाधिक 49 प्रतिभागी हैं।
कार्यशाला में सभी प्रांतों के ग्राम संयोजकों ने अपने-अपने प्रांत के प्रभात ग्राम के शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, स्वावलम्बन, समरसता, सुरक्षा, कृषि व पर्यावरण आदि बिन्दुओं पर कार्य एवं कार्यक्रमों की जानकारी सभी के समक्ष रखी। संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने इस जानकारी को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि ग्राम विकास के कार्यों को नियमित करने से निश्चित ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
कार्यशाला में संघ के अखिल भारतीय अधिकारी उपस्थित हैं, जिनमें भगैय्या (अ.भा. कार्यकारिणी सदस्य), स्वांतरंजन (अ.भा. बौद्धिक प्रमुख ), दिनेश कुमार (अ.भा. ग्राम विकास संयोजक), गुरूराज (अ.भा. ग्राम विकास सह संयोजक), गुणाकर (अक्षय कृषि परिवार), मनोज भाई सोलंकी, सिद्दीनाथ (केन्द्रीय टोली ) व मिलिन्द (ग्राम संकुल) आदि शामिल हैं।
आज सम्पन्न कुल चार सत्रों में, आयाम के अनुसार विभिन्न पंडालों में सत्र हुए। पंडालों के नाम गोविंद गुरु, संत मावजी, संत सती सूरमाल दास, वीर कालीबाई आदि थे, जो राजस्थान के संतों के नाम पर आधारित हैं। प्रभात ग्रामों की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है, जिसके प्रसारण के लिए भी एक पंडाल तैयार किया गया है। 24 की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बारां के सहरिया जनजाति का लोक नृत्य, गोविंद गुरु पर एक नाटिका और रामदेव जी महाराज के भजनों की प्रस्तुति भी हुई।