फिल्म गदर 2 (समीक्षा)
फिल्म गदर : एक प्रेम कथा के रिलीज होने के पूरे 22 वर्षों बाद इसका दूसरा भाग (गदर 2) 11 अगस्त 2023 को पर्दे पर आया है। फिल्म गदर : एक प्रेम कथा 2001 में आई थी, जिसकी कहानी में 1947 के विभाजन, घटनाओं तथा परिस्थितियों को दर्शाया गया था। वहीं गदर 2 की कहानी 1971 के भारत – पाक युद्ध प्रारंभ होने के ठीक पहले की है।
निर्देशक अनिल शर्मा की फिल्म गदर : एक प्रेम कथा ने जो इतिहास रचा था, उसे पुन: दोहराने की आशा से गदर 2 बनाई गई। फिल्म के प्रारंभ में गदर : एक प्रेम कथा की कहानी दिखाकर इसे और गदर 2 को जोड़ने का प्रयास किया गया है।
गदर 2 में तारा सिंह का बेटा चरणजीत सिंह (जीते) भी बड़ा हो गया है। वहीं दूसरी और पाकिस्तान में मेजर इकबाल, तारा सिंह व भारत से बदला लेने की आग में जल रहा है क्योंकि तारा सिंह उसकी रेजीमेंट के 40 जवानों को मार कर सकीना को भारत लेकर आया था।
पाकिस्तान में सकीना के पिता अशरफ अली को फांसी दे दी गई क्योंकि उन्होंने तारा सिंह की सहायता की थी। उधर पाकिस्तानी मेजर हिन्दुओं से घृणा की आग में जल रहा है। उसे पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं पर अत्याचार करते हुए दिखाया गया है। फिल्म के एक दृश्य में पाकिस्तान में हिन्दुओं को इकट्ठा कर उन पर अत्याचार किए जाते हैं, तब एक व्यक्ति कहता है कि यह देश हमारा भी है, इस पर पाकिस्तानी मेजर उसे गीता या कुरान में से कोई एक विकल्प चुनने को कहता है। वह गीता को चुनता है, इस पर पाकिस्तानी मेजर उस व्यक्ति और उसकी बेटी दोनों का सिर काट देता है।
तारा सिंह फिल्म में फौजियों को रसद आपूर्ति का कार्य करता है। राम टेकड़ी पर हुए पाकिस्तानी हमले के दौरान गोला बारूद पहुंचाने के बीच तारा सिंह नदी में बह जाता है। उसके पाकिस्तान के कब्जे में होने की आशंका जताई जाती है, अब जीते तारा सिंह को वापस लाने के लिए पाकिस्तान जाता है अशफाक बनकर।
इधर तारा कुछ समय बाद अपने घर वापस आ जाता है और पाकिस्तान में जीते को पाकिस्तानी सेना ISI की सहायता से पकड़ लेती है। अब तारा सिंह अपने बेटे को बचाने के लिए पाकिस्तान जाता है। फिल्म के एक दृश्य में तारा सिंह पाकिस्तानी मेजर से कहता है कि हम बंटवारे की त्रासदी भूल चुके हैं अर्थात अब हम शांति चाहते हैं। एक दृश्य में जब जीते पाकिस्तानी सैनिकों से बचता हुआ एक घर में घुस जाता है तब एक औरत उसे भोजन देती है और वह भोजन लेकर उसे मौसी कहकर पैर छूता है, यह दृश्य भावविभोर करने वाला था। फिल्म में सकीना जो कि मुस्लिम है, को गुरु गोविंद सिंह के सामने प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। वहीं पाकिस्तान में तारा सिंह को मजार पर प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है।
ऐसे दृश्य सांप्रदायिक भेदभाव को मिटाने का कार्य करते हैं।
फिल्म के एक अन्य दृश्य में दिखाया गया कि जीते पाकिस्तानी मेजर को कहता है कि मैंने कुरान नहीं पढ़ी है, परंतु मेरी “मां ने मुझे कुरान को समझाया है।”
एक दृश्य में तारा सिंह को यह कहते हुए भी दिखाया गया है कि ना हम भारत के लोग युद्ध चाहते हैं ना पाकिस्तान के, वहां के लोग भी शांति चाहते हैं और यहां के लोग भी, हम सभी बस सियासत का शिकार हो गए हैं।
फिल्म निर्देशक अनिल शर्मा ने फिल्म को कहीं भी टूटने नहीं दिया है। फिल्म अंत तक अपनी कहानी के साथ दर्शकों को बांधे रखती है। फिल्म के अंतिम दृश्य में पाकिस्तानी मेजर को तारा सिंह गीता या कुरान में से एक को चुनने को कहता है और तब वह गीता चुनता है।