बंगाल में ममता का खूनी खेला, बनाए जा रहे कश्मीर जैसे हालात

बंगाल में ममता का खूनी खेला, बनाए जा रहे कश्मीर जैसे हालात

प्रताप राव

बंगाल में ममता का खूनी खेला, बनाए जा रहे कश्मीर जैसे हालात

आज पश्चिम बंगाल देशद्रोह का गढ़ बन गया है। पूरा बॉर्डर का इलाका वोटों के लालच में बांग्लादेशी घुसपैठियों से भर गया है। कश्मीर जैसे हालात बनाये जा रहे हैं, हिंदू-बंगालियों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है, दंगाइयों को ममता सरकार की पूरी शह है। ममता बंगाल पर संप्रभु शासक की तरह राज करना चाहती हैं। 

बेलियाघाटा के अभिजीत सरकार की मां माधवी का रो-रोकर बुरा हाल है,अपने जवान बेटे को याद करते-करते वो बार-बार बेहोश हो जाती हैं……हवा में हथियार लहराती भीड़ पाकिस्तान जैसे हालात बना रही है…..जब उनको होश आता है तो आंखों के सामने बेटे का चेहरा आ जाता है…….वो कहता था मां जल्द ही पोरिबोर्तन आएगा,सब कुछ बदल जाएगा,न गुंडा वसूली लेकर जाएगा,न कटमनी देना पड़ेगा….मां से कहता मोदी आएगा तो ये गुंडा लोग भाग जाएगा…….नई सरकार बनने के बाद ऐसे पोरिबोर्तन की कल्पना माधवी सरकार ने सपने में भी नहीं की थी….ये तो कत्तई नहीं सोचा था कि उनके बेटे का खेला खत्म हो जाएगा…..बीजेपी के उस कार्यकर्ता को उसकी मां के सामने ही दरिंदों ने मार दिया….दोष सिर्फ इतना था कि ममता की पार्टी के खिलाफ ये जवान अपने मोहल्ले में खड़ा हो गया था…..अभिजीत सरकार ने अपने ऊपर हुए हमले की जानकारी फेसबुक लाइव के जरिए दी भी थी। एक तरफ जहां मां के सामने बेटे की हत्या कर दी गई तो वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ 24 परगना के जगद्दल में तृणमूल के गुंडों के हमले से अपने बेटे कमल मंडल को बचाने में शोभारानी मंडल गंभीर रूप से जख्मी हो गईं जिनकी बाद में मौत हो गई….शोभारानी की मौत ने बंगाल में उस घटना की याद दिला दी जब उत्तर दमदम के निमता की रहने वाली शोभारानी मजूमदार के ऊपर टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था….उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उनका बेटा गोपाल मजूमदार बीजेपी वर्कर था।

रानाघाट के उत्तम घोष की भी यही कहानी है, घर में घुसकर टीएमसी के गुंडे उसको तब तक पीटते रहे जब तक उसकी जान नहीं चली गई…..घर के लोग बचाने के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन यहां तो ममता का खेला हो रहा था। सोनारपुर दक्षिण के होरोम अधिकारी और सितल कुची के मोमिक मोइत्रा पर मुस्लिम गुंडों ने हमला कर दिया, वो अकेले उन्मादी भीड़ से टकराते रहे…..मुस्लिम गुंडे जो टीएमसी की शह पर आतंक फैलाने आये थे उन्होंने उनको घेर लिया और वे उनसे लड़ते-लड़ते बलिदान हो गए….बोलपुर के गौरव सरकार को घर में ही गुंडों ने घेर लिया, उसने भी याचना नहीं की, गुंडों से हार नही मानी, लेकिन उन्हें भी सोनार बांग्ला के सपने के लिए जान देनी पड़ी। ये तो महज कुछ घटनायें हैं, ऐसे सैंकड़ों हमले पश्चिम बंगाल में 2 मई से ही जारी हैं।

चुनाव प्रचार में बार-बार खेला की धमकी देने वाली ममता बनर्जी का खेला चुनाव परिणाम के बाद नजर आने लगा है। पश्चिम बंगाल इस समय जल रहा है। हर तरफ लूटपाट और दंगों का माहौल है। मुख्य रूप से भाजपा के साथ कांग्रेस और वामपंथियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। कोलकाता में टीएमसी के गुंडे सरेआम दुकानें लूट रहे हैं, सरेआम अल्लाह ओ अकबर के नारे लगाए जा रहे हैं। ममता के डर के मारे प्रशासन और पुलिस नपुंसक की तरह चुपचाप हिंसा का नंगा नाच होते देख रही है। मुख्यमंत्री होने के बावजूद ममता ने न तो अपने समर्थकों को खेला बन्द करने को कहा, न ही पुलिस को हालात नियंत्रण करने के लिए ही कोई आदेश दिया। टीएमसी के नेता हिंसा और हमले को सही ठहरा रहे हैं। पूरे बंगाल में अराजकता का माहौल है। ममता बंगाल में इस हिंसा पर खामोश हैं और तमाशबीन बनी हुई हैं वहीं राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ जिनको बाहरी कहा जाता है वो इस पूरे मामले पर संज्ञान लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब कर रहे हैं, साथ ही वो ममता को याद दिला रहे हैं कि वे इसी राज्य की मुख्यमंत्री हैं, उनके प्रदेश और जनता के प्रति क्या दायित्व हैं। लेकिन ममता का व्यवहार किसी लेडी डॉन जैसा है, वो जीत के बाद बंगाल को देश और खुद को तानाशाह मान रही हैं। निरीह और निर्दोष लोगों की बांग्लादेशी मुसलमान सरेआम हत्या कर रहे हैं, उन्हें इस की चिंता नहीं। ममता के गुर्गे सड़कों पर अपने विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ढूंढ-ढूँढ कर मार रहे हैं, और उनकी नेता उन अधिकारियों को ढूंढ रही हैं जिन्होंने चुनाव में उनका साथ नहीं दिया। मुख्य सचिव से उन्होंने राज्य के हालातों की जानकारी नहीं ली बल्कि वो लिस्ट मांगी जिसमें ऐसे अधिकारियों के नाम हों।

बंगाल वामपंथी शासन के समय से ही हिंसा और आतंक की राजनीति का गढ़ बन गया है। वामपंथियों ने 35 साल तक इसी गुंडागर्दी, आतंक,बूथ कैप्चरिंग के सहारे अपनी सत्ता को कायम रखा। वामपंथियों ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को पाल कर बंगाल की राजनीति में हिन्दुओं को बेचारा बना दिया। वामपंथियों ने स्वार्थ और सत्ता के लिए देश से विश्वासघात से गुरेज नहीं किया। बांग्लादेशी मुसलमानों का वोट बैंक बनाने के लिए पश्चिम बंगाल को मुस्लिम गुण्डों के हवाले कर दिया। ममता ने इन्हीं मुस्लिम गुंडों और वामपंथी तानाशाही के विरुद्ध अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। तब सड़कों पर मोर्चा लेने वाली ममता ने लोकतंत्र की वापसी की कसम खायी थी।

वामपंथी शासन के दौरान जब ममता 30 सीटों को जीतकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी, उस समय भी प्रदेश ने हमलों का ऐसा ही दौर देखा था। टीएमसी के लोगों को मुस्लिम गुण्डों ने जगह-जगह मारा, बस फर्क ये था गुंडे तब वामपंथियों के साथ थे। तब ममता ने लोकतंत्र की दुहाई दी थी। वामपंथी सरकार को तानाशाह बताया था, आरोप भी लगाए थे कि घुसपैठियों के सहारे चुनाव जीता। लेकिन 2011 की जीत के बाद लोकतंत्र की बात कहने वाली ममता खुद तानाशाह बन गयीं। यहां तक कि देश की सरकार से भी स्वयं को बड़ा मानने लगी हैं। केंद्र से टकराव और राज्य में मनमानी उनकी राजनीति का हिस्सा है। पिछले साल हुए पंचायत चुनावों में टीएमसी के विरुद्ध 60 प्रतिशत सीटों पर नामांकन तक नहीं करने दिए, जहां चुनाव हुए वहां हिसा और हत्या हुई, प्रत्याशियों को मारा गया। समर्थकों को गांव छोड़कर भागना पड़ा। निर्लज्ज और निरंकुश ममता संविधान को धत्ता बताते हुए सबको जायज ठहराती रहीं। आज ममता के गिरोह में वे सभी गुंडे, देशद्रोही और घुसपैठिये शामिल हैं जो कभी वामपंथियों की ताकत होते थे।

पश्चिम बंगाल की जनता ने 2016 में परिवर्तन के लिए वोट दिया था, सत्ता का परिवर्तन हुआ लेकिन गिरोह वही काबिज हो गया। आज पश्चिम बंगाल देशद्रोह का गढ़ बन गया है। पूरा बॉर्डर का इलाका वोटों के लालच में बांग्लादेशी घुसपैठियों से भर गया है। कश्मीर जैसे हालात बनाये जा रहे हैं, हिंदू-बंगालियों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है, और उनको ममता सरकार की पूरी शह है। प्रशासन को इतना भ्रष्ट कर दिया है कि उसे केवल कमाई से मतलब है। ममता बंगाल पर संप्रभु शासक की तरह राज करना चाहती है।  आज देश के सामने विशेषकर भाजपा के सामने बंगाल को बचाने, लोकतंत्र की बहाली और परिवर्तन कि चुनौती है।

बंगाल की जनता ने 38 प्रतिशत मत और 77 सीट देकर ममता से मुक्ति की मंशा जता दी है। भाजपा के कार्यकर्ता टीएमसी के आगे झुकने की जगह संघर्ष को तैयार हैं। पार्टी को उन्हें संबल देने की आवश्यकता है, उनके साथ खड़े होकर जमीन पर मुकाबले की आवश्यकता है। पार्टी के कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाना चाहिए, केंद्र की सरकार बंगाल में अराजकता स्वीकार नहीं करेगी। आवश्यकता हुई तो राष्ट्रपति शासन से भी नही हिचकिचाएगी। देश ने एक होकर जम्मू और कश्मीर को बचाने की लड़ाई लड़ी। आज वह देश की मुख्यधारा में है, तो केवल हमारे सैनिकों के बलिदान और वहां के लोगों के संघर्ष के कारण। पश्चिम बंगाल भी आज उतने ही संकट में है आवश्यकता है देश को आवाज उठाने की और सरकार को सख्त एक्शन लेने की। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम से भले ही परिवर्तन नहीं आया लेकिन उसकी दिशा बंगाल को मिल गयी है। ममता अगर जनादेश नहीं समझ रहीं तो यह उनकी गलती है।

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