बंधुत्व की भावना के बिना समता और स्वतंत्रता मात्र कल्पना

बंधुत्व की भावना के बिना समता और स्वतंत्रता मात्र कल्पना

बंधुत्व की भावना के बिना समता और स्वतंत्रता मात्र कल्पनाबंधुत्व की भावना के बिना समता और स्वतंत्रता मात्र कल्पना

जयपुर। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर अधिवक्ता परिषद जयपुर प्रान्त की जिला न्यायालय इकाई के द्वारा शुक्रवार को एसएसजी पारीक महाविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में समता मूलक समाज और भारतीय संविधान विषय पर बोलते हुए मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के माध्यम से ही समाज में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समानता सम्भव है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री ने कहा कि दृष्टि बदलने मात्र से सृष्टि बदल जाती है। भारतीय संविधान की उद्देशिका की व्यवहारिकता पर विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संविधान डॉक्यूमेंट ऑफ रूल्स नहीं सामाजिक दस्तावेज है। संविधान में प्रत्येक शब्द उसके मर्म के साथ ही समाहित किया गया है। दृष्टि के बिना सृष्टि में परिवर्तन सम्भव नहीं है। इसलिए विधायिका, कार्यपालिका के साथ न्यायपालिका को समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करना होगा। सभी के सम्मलित प्रयास से ही समता को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक तौर पर स्थापित किया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बसन्त सिंह छाबा ने कहा कि शिक्षा का जीवन में बहुत महत्व है। यह अनुभव और चिंतन से ही प्राप्त होती है। एक सामाजिक कहानी के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था को समझाते हुए उन्होंने कहा कि समता के बिना समरसता सम्भव नहीं है।

कार्यक्रम में जयपुर प्रान्त के अध्यक्ष नीरज बत्रा, महामंत्री जितेंद्र सिंह राठौड़, स्टडी सर्कल प्रमुख प्यारेलाल चौधरी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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