बदलाव से आएगी नई सोच

कामवाली बाइयों को सम्मानित कर समाज की दृष्टि बदलने का प्रयास

जयपुर। जिंदगी भर दूसरों का जूठन साफ करने, उनके घरों की साफ-सफाई कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली कामवाली बाइयों के स्वाभिमान व श्रम पर समाज का ध्यान नहीं जा पाता है। निर्धन परिवारों से आने वाली इन महिलाओं में से अधिकांश घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। गरीब, परित्यक्ता या फिर विधवा का जीवन जीने वाली ये काम वाली बाइयां सुबह से शाम तक एक घर से दूसरे घर बिना रुके थके अपने बच्चों की आवश्यक व्यवस्था व सुखद भविष्य का ही विचार करती हैं। कभी हमने सोचा है कि क्या इन्हें भी प्रेम, सम्मान या समाज का सहज अंग होने की अनुभूति या सहयोग की आवश्यकता होती होगी?

जी हां, इसी सोच के साथ भरतपुर में समाज की कुछ जागरूक और संवेदनशील महिलाओं ने इन कामवाली बाइयों के परिश्रम व स्वाभिमान को सम्मानित किया है।

मीनू भसीन, रुचि जैन, विधि, रेखा और कामिनी ने मिलकर ‘बदलाव एक नई सोच’ बैनर तले इन कामवाली महिलाओं को सम्मानित कर उनके जीवन में खुशियां लाने का प्रयास किया है। कवियत्री मीनू भसीन इन महिलाओं को स्वसमर्थ बताते हुए कहती हैं कि ये महिलाएं जिंदादिली का अनूठा उदाहरण हैं। ये स्वयं इतनी सशक्त हैं कि हम सभी को लगता है इन से प्रेरणा लें। उन्होंने बताया कि इन स्वसमर्थ महिलाओं को सम्मानित कर इनकी अपनी पहचान को सशक्त बनाने की दिशा में बैनर द्वारा यह एक छोटा सा प्रयास है। रुचि जैन ने कहा यह शुरुआत है, ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

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1 thought on “बदलाव से आएगी नई सोच

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