बलिदान दिवस पर प्रताप गौरव केंद्र में पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ

बलिदान दिवस पर प्रताप गौरव केंद्र में पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ

बलिदान दिवस पर प्रताप गौरव केंद्र में पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ

 

उदयपुर। देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले महान क्रांतिकारी अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू के बलिदान दिवस पर प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ में पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें नमन किया गया।

प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने पुष्पांजलि कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चितौड़ प्रांत के प्रांत प्रचारक विजयानंद को उपरणा ओढ़ाकर उनका स्वागत किया। पुष्पांजलि कार्यक्रम में उपस्थित जन को संबोधित करते हुए विजयानंद ने कहा कि वास्तव में तो अंग्रेजों के शासनकाल में देश को स्वतंत्र कराने में दो विचार के लोग काम कर रहे थे। एक वे लोग थे जो चाहते थे कि देश मे हिंसा नहीं की जाए और शांतिपूर्वक आंदोलन के द्वारा  जनजागृति लाकर दबाव बनाकर देश को स्वतंत्र कराया जाए वहीं दूसरे पक्ष का मत था कि बिना हथियार उठाए यह सम्भव नहीं, बलिदान देना पड़ेगा। 1857 की क्रांति हो या फिर कोई और क्रांति, स्वतंत्रता के मतवालों को अंग्रेजों के विरोध स्वरूप हथियार उठाने ही पड़े। चन्द्रशेखर आजाद व भगतसिंह  जैसे क्रांतिकारी अपनी लोकप्रियता के कारण अंग्रेजों के लिए चुनौती बन गए थे। उनके बलिदान ने देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया

वर्ष 1907 में जन्म लेने वाले भगतसिंह जब 13 वर्ष की आयु के रहे होंगे तब की घटना के बारे में इतिहासकारों ने लिखा है कि भगतसिंह ने जलियांवाला कांड देखा, उसके बारे में सुना तो उनके बालमन में भावना जागी कि देश को स्वतंत्र कराने के लिए मुझे भी कुछ प्रयत्न करना चाहिए। धीरे धीरे क्रांतिकारी भावनाएं उमड़ने लगीं। उस बालक ने खेत में लकड़ी बोई उसे लगा इससे बंदूकें उगेंगी और उनसे वह अंग्रेजों को मारेगा।

1928 में लाहौर मे साइमन कमीशन अध्यादेश का विरोध हुआ, लाला लाजपतराय लाठीचार्ज के दौरान घायल हो गए। तब भगतसिंह ने अपने मित्रों के साथ मिलकर स्काट नाम के अफसर को मारने का प्रयास किया पर वह बच निकला और गोली सांडर्स अधिकारी को लग गई। अप्रैल 1929 में उन्होंने असेम्बली पर बम फेंका, उनका उद्देश्य हमला करना नहीं था बल्कि वे अंग्रेजों को डराना चाहते थे। वह भागे नहीं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही वह युवा क्रांतिकारी  अपने साथी सुखदेव और राजगुरू के साथ हंसते हंसते फांसी पर झूल गया।

बलिदान दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में सह प्रांत प्रचारक मुरलीधर भी उपस्थित थे। मनीष मेघवाल ने फांसी से एक दिन पूर्व भगतसिंह द्वारा लिखे गए पत्र का वाचन किया। तत्पश्चात प्रताप गौरव केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों एवं पर्यटकों ने पुष्प अर्पित किए।

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