कर्मयोगी समन्वय साधक बालकृष्ण नाईक का निधन

कर्मयोगी समन्वय साधक बालकृष्ण नाईक का निधन

कर्मयोगी समन्वय साधक बालकृष्ण नाईक का निधन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों में रहते हुए पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर देने वाले ज्येष्ठ प्रचारक व कार्यकर्ता बालकृष्ण उत्तमराव नाईक का 18 नवम्बर को रात 11-30 बजे कुशीनगर से गोरखपुर आते समय एम्बुलेन्स में ही निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे और अस्थमा से पीड़ित थे।

उनका जन्म 1942 में संभाजीनगर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र) में हुआ। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे नाईक ने गुजरात से इंजीनियरिंग स्नातक होकर अमेरिका में स्टॅनफोर्ड विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा ली। भारत आकर नौकरी न करते हुए 1966 में ही संघ के प्रचारक बन गए और एक वर्ष परभणी (महाराष्ट्र) में काम करके 1967 में बंगाल आ गए। 1974 में विश्व हिन्दू परिषद में आए। पहले विभाग और बाद में 1976 से बंगाल के प्रान्त संगठन मंत्री रहते हुए प्रभावी काम किया। 1990 में पश्चिमांचल के विहिप संगठन मंत्री बनकर मुम्बई आए। 1995 में केन्द्रीय मंत्री (विश्व समन्वय) हुए। फिर संयुक्त महामंत्री, केन्द्रीय उपाध्यक्ष जैसे दायित्वों को निभाया। वर्तमान में केन्द्रीय प्रबन्ध समिति के सदस्य थे। गत 15 वर्षों से समन्वय मंच के पहले प्रमुख और बाद में पालक के नाते से कार्य देख रहे थे। समन्वय मंच के वे ही प्रवर्तक थे।

बालकृष्ण नाईक का वर्णन कर्मयोगी समन्वय साधक के रूप में करना उचित होगा। वे शान्त और विनम्र स्वभाव के थे। अत्यन्त मृदु भाषा में बात करते थे। सभी प्रकार के कष्ट सहन करके समर्पित भाव से काम करने वाले ज्येष्ठ प्रचारक थे। सिख, जैन, बौद्ध ऐसे विविध सम्प्रदायों के साधु-सन्तों से आपका सम्पर्क रहता था। वे विपश्यना के साधक थे।
ऐसे प्रचारक कार्यकर्ता का निधन हम सभी के लिए दुःखद और अपूरणीय क्षति है। हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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