अप्रैल 1982 : बाला साहब देवरस ने किया था आदर्श गॉंव केशवपुरा का लोकार्पण
अप्रैल 1982 : बाला साहब देवरस ने किया था आदर्श गॉंव केशवपुरा का लोकार्पण
सावन के महीने में बादलों की अठखेलियॉं और बारिश की बौछारें किसे अच्छी नहीं लगतीं। लेकिन ये मनमोहक बौछारें कब काल बन जाएं, कोई नहीं जानता। छांदेल खुर्द और गणेशपुरा गांव के बुजुर्ग तो वह दिन कभी नहीं भूल सकते। 17 जुलाई 1981 का दिन था। बारिश शुरू हुई, तब बच्चे–बड़े सब उमंग में थे। लेकिन बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। 19 जुलाई को अचानक बादल फटा और जयपुर व उसके आस पास के क्षेत्रों में तबाही मच गई। जयपुर से 40 किमी दूर बसे ये दोनों गॉंव बाढ़ में पूरी तरह तबाह हो गए। गॉंव वालों ने छोटे छोटे बच्चों को कंधों पर बिठाकर जैसे तैसे गर्दन तक पानी से भरे कच्चे रास्तों को पार करते हुए एक किमी दूर रेत के ऊंचे टीलों पर शरण ली और किसी तरह जान बचाई। तीन दिनों के बाद जब पानी का वेग कुछ कम हुआ तो जयपुर शहर के संघ के स्वयंसेवक सर्वे के लिए उस क्षेत्र में पहुंचे, तब उन्हें टीलों पर शरण लिए इन ग्रामवासियों के बारे में पता चला। स्वयंसेवकों ने लौटकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी तो पीड़ितों के लिए तुरंत आवश्यक सहायता सामग्री की व्यवस्था की गई और स्वयंसेवकों की एक टोली वह राहत सामग्री लेकर बाढ़ पीड़ितों के पास पहुंची। तब कहीं जाकर तीन दिनों से भूखे प्यासे ग्रामवासियों को भोजन पानी मिल सका। गॉंव में जाकर देखा तो सब कुछ समाप्त हो चुका था। उस क्षेत्र का भौगोलिक चेहरा पहचान से परे विकृत हो गया था। ऐसे में इन उजड़े हुए ग्रामवासियों के खाने पीने की व्यवस्था तो स्वयंसेवकों ने सम्भाल ली थी, लेकिन चुनौती थी उनके पुनर्वास की। क्या किया जाए, इसके लिए गहन मंथन चला और अंत में स्वयंसेवकों ने यह जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली और बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ राजस्थान बाढ़ पीड़ित सहायता एवं पुनर्वास समिति जयपुर का गठन किया। समिति ने छांदेल खुर्द व आसपास के गांवों के बाढ़ पीड़ितों के लिए नया गांव बसाने का निर्णय लिया।
स्वयंसेवकों ने घर घर जाकर 11 लाख रुपए इकट्ठे किए और कार्तिक शुक्ल नवमी संवत 2038 (6 नवम्बर 1981) को नए गांव की नींव रखी, जिसका नाम संघ के संस्थापक केशवराव बलिराम हेडगेवार के नाम पर रखा गया आदर्श गांव केशवपुरा।
पांच माह के परिश्रम से ग्राम का निर्माण हुआ। चैत्र शुक्ल नवमी विक्रम संवत 2039 (2 अप्रैल 1982) को बाला साहब देवरस ने गांव के लोकार्पण कार्यक्रम में बाढ़ पीड़ितों को भूखण्डों के पट्टे, नवनिर्मित मकानों की चाबी, राम दरबार की तस्वीर, पांच बर्तन एवं एक एक बोरी अनाज की सौंपी।
5 अक्टूबर 2018 को राजस्थान सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड में केशवपुरा आदर्श ग्राम का नाम जोड़ने का आदेश जारी किया। आज यह गॉंव सही मायनों में एक आदर्श गॉंव है। जहॉं पहले सिर्फ शमी का एक वृक्ष था, वहॉं अब अनगिनत पेड़ और एक बस्ती है। पेड़ों पर पक्षी चहचहाते हैं, तो पेड़ों के नीचे बच्चे। गॉंव में हर काम श्रमदान से होता है, फिर चाहे वह पौधारोपण हो या साफ सफाई। गॉंव में एक सिलाई केंद्र चलता है, पुस्तकालय बनकर तैयार हो चुका है। यहॉं पाठशाला है, तो व्यायामशाला भी। श्रमदान से एक वॉक वे भी बनाया गया है। भेदभाव से कोसों दूर सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल है आदर्श गॉंव केशवपुरा।