बुजुर्गों के लिए भी सोशल लाइफ बहुत जरूरी

पाथेय डेस्क

 

समय के बदलाव और बच्चों के बड़े होने पर पेरेंट्स घर की चारदीवारी में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जो उन्हें मानसिक और शारीरिक रुप से बीमार बनाने में अहम भूमिका निभाता है। जिस तरह माता पिता बचपन में बच्चों में सोशल लाइफ को विकसित करने के लिए कई तरह के प्रयास करते हैं।वेसे ही बुजुर्गों के लिए भी सोशल लाइफ बहूत जरूरी हैं। सोशल लाइफ बुजुर्गों को फिजीकली और इमोशनली मजबूत बनाती हैं। बुजुर्गों के लिए सोशल लाइफ के कई फायदे हैं-

इमोशनली मजबूत होना- घर के बड़ो के लिए सोशल लाइफ का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि वो खुद को इमोशनली फिट महसूस करते है, आजकल की लाइफ स्टाइल के चलते लोग अपनी लाइफ मे व्यस्त होते है। जिसकी वजह से बुजुर्ग घर मे अकेले रहते हैं लेकिन जब वे सोशल साइड पर नये दोस्तो से जुडते है तो अपनी फीलिंग्स और प्रॉब्लम्स उनके साथ शेयर करते है। एसा करके वे खुद को हल्का महसूस करते है और तनाव या फिर कई बीमारियों से दूर हो जाते है।

नए दोस्त बनाना- सोशल लाइफ के जरिये वे एसे लोगो को भी अपना दोस्त बनाते हैं जो उन्हे नए तरीके से जान और समझ पाते हैं। जो उनके हमउम्र होते हैं उनके सुख-दुख में साथ देते हैं उन्हे जानते और समझते हैं। उनके बीमार होने पर उनसे मिलने आते हैं। जिसके कारण बुजुर्ग लोग खुद को खुश महसूस करते हैं।

अकेलापन दूर होना- सोशल लाइफ का एक बड़ा फायदा यह भी है उनको अकेलापन महसूस नही होता हैं। नए लोगों से मिलने और अपने मनपसंद काम करने से उन्हें अपनी ढलती उम्र में भी बच्चों की कमी कम महसूस होती है। जिससे वो शारीरिक और मानसिक रुप से फिट महसूस करते है इससे वो डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से खुद को बचा पाते हैं। सोशल गैदरिंग वो हम उम्र के लोगों के अलावा बच्चों और जानवरों के साथ भी अपने टाइम को स्पेंड करना पसंद करते हैं।

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