बैंक ऑफ पोलमपुर की नई प्रबंध निदेशक (व्यंग्य)
(9 दिसंबर अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोध दिवस पर विशेष)
वेद माथुर
बैंक ऑफ पोलमपुर की नई प्रबंध निदेशक सुश्री सुधा नटराजन ने पूरे जोर-शोर से कार्य शुरू कर दिया था। उनके आने के बाद एक बदलाव बैंक में यह आया कि पुराने प्रबंध निदेशक श्री शिवशंकर पिल्लई जहां अपनी बातों और किस्सों की तरह घिसे पिटे पुराने सूट पहन कर आते थे, वहां नयी प्रबंध निदेशक सुश्री सुधा नटराजन रोज नई साड़ी, ज्वेलरी एवं चप्पलें पहन कर आती थीं। नित नई साड़ियां, गहने और फुटवेअर देखकर लगता था जैसे स्वर्गीय जयललिता अपना सारा संग्रहीत सामान सुश्री सुधा नटराजन को सौंप गई हों।
प्रबंध निदेशक सुधा द्वारा पहनी जाने वाली साड़ियां और ज्वेलरी महंगी होती थी और कोई ईमानदार सरकारी अधिकारी इन्हें अपनी पुश्तैनी जायदाद बेचकर भी नहीं खरीद सकता था।
वे साल में एक बार 9 दिसम्बर को “अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोध दिवस” के अवसर पर वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विजिलेंस कमिश्नर के मुख्य आतिथ्य में सेमिनार आयोजित करती थीं। उस दिन वे अवश्य साधारण सूती साड़ी और नकली मोतियों की माला पहन कर आती थीं।
उस दिन उनके हाथ में गांधी जी की पुस्तक “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” होती थी, हालांकि वे हिंदी पुस्तकें नहीं पढ़ती थीं। अपने अंतरंग मित्रों में वह कहती भी थीं कि वे कभी गांधी जी की पुस्तकें नहीं पढ़तीं क्योंकि इन्हें पढ़कर इनसे सहमत होने का खतरा रहता है।
प्रबंध निदेशक महिला होने से ‘बैंक ऑफ़ पोलमपुर’ के खर्चे में एक और इजाफा हो गया था। सुधा नटराजन एक फाइव स्टार होटल में स्थित ब्यूटी पार्लर में हर चौथे दिन जाती थीं और होटल ब्यूटी पार्लर के बजाय अपने रेस्टोरेंट का ग्राहकों की बिजनेस मीटिंग का फर्जी बिल बना कर भेज दिया करता था। कार्यकारी निदेशकों की पत्नियां भी इस सुविधा की मांग करने लगी थीं।
(कार्टून – साभार रामबाबू माथुर)