भारत एक विचार

देखिए कुछ काम बनता है क्या
राष्ट्र बनाओ राष्ट्र जगाओ
नए नए स्तम्भ सजाओ
जीवन एक सूत्र बंध जाए
प्रतिदिन ऎसे भाव जगाओ
मानवता की रीति पुरानी
आओ रच लें नई कहानी
है विशाल भारत ये अपना
इसमें ऐसे पुष्प खिलाओ
व्यक्ति व्यक्ति से बनता भारत
देश समाज बनाएं ले व्रत
आजादी के दीवानों की
गाथाएं गाएं हम नित नित।
शब्द हमारे शस्त्र बनें जब
युद्ध विचारों से सुलझाएं
गौरव शाली देश हमारा
वसुधा एक कुटुम्ब बनाएं।
भानुजा श्रुति।
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