भारत का जनजातीय समुदाय और वनवासी कल्याण आश्रम

भारत का जनजातीय समुदाय और वनवासी कल्याण आश्रम

पंकज जगन्नाथ जयस्वाल

भारत का जनजातीय समुदाय और वनवासी कल्याण आश्रम

आज देश में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या 8 प्रतिशत से अधिक है। दुनिया में कोई अन्य समुदाय प्रकृति के उतना निकट नहीं है, जितना कि यह समाज। ये सनातन धर्म की सभी प्रथाओं का पालन करते हुए वनों के पोषण और रक्षा के लिए अपने हृदय की गहराई से समर्पित रहते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई जनजातीय नेता थे, जिनमें बिरसा मुंडा, धरींधर भूआन, लक्ष्मण नाइक, जंत्या भील, बंगारू देवी और रहमा वसावे, मंगरी ओरांव जैसे नाम शामिल हैं।
बिरसा मुंडा, एक विद्वान, महान स्वतंत्रता सेनानी और  धार्मिक नेता थे। उनकी अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई में एक बड़ी भूमिका थी।  उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों में हजारों जनजातीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने और गरीबों के शोषण के लिए एकजुट किया। उन्होंने ईसाई मिशनरियों का भी विरोध किया। मिशनरियां जनजातीय लोगों को कन्वर्जन के लिए मजबूर कर रही थीं। बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों को मिशनरियों का शिकार न बनने के लिए प्रेरित किया।
आज भी कई क्षेत्रों में जनजातीयों को गुमराह कर ईसाइयत में कन्वर्ट किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि वे हिंदू नहीं हैं। जबकि वैज्ञानिक तरीकों से भी पता चला है कि सबके वंशज एक ही हैं, फिर यह गलत धारणाये क्यूँ बनायी जा रही हैं?
सनातन धर्म सारे धर्मो का आदर करने मे विश्वास रखता है, और सम्मान भी देता है, फिर किसी व्यक्ति को सनातन धर्म के बारे में, उसके मन में विष भरकर कन्वर्ट करना, क्या हमारे देश और दुनिया के लिए ठीक होगा? हमारे संविधान में लिखा है कि कोई स्वयं की इच्छा से कन्वर्ट होना चाहता है तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मन में जहर भरकर गुमराह करना कतई उचित नहीं है।
भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाये थे! निषाद राज केवट को भगवान श्रीराम समान भाव से व अपने भाई के रूप में मानते थे! सनातन धर्म हमेशा से ही सर्वसमावेशी रहा है । लेकिन कुछ विरोधी अपने स्वार्थ के कारण इसे गलत प्रकार से प्रस्तुत करते हैं।
कई संगठन बिना किसी गलत सोच के पूरे समर्पण के साथ  जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।  जिनमें से एक है “अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम”।
वनवासी कल्याण आश्रम अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न सेवा परियोजनाओं के माध्यम से जनजातियों के कल्याण के लिए कार्य करता है।  397 जनजाति जिलों में से 338 जिलों में जनजाति लोगों के उत्थान के लिए विभिन्न गतिविधियां चलाई जा रही हैं।  उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए 52323 गांवों में कार्य किया जा रहा है और धीरे धीरे बाकी गावों को भी जोड़ा जा रहा है। विकास कार्यों के अलावा स्थानीय संस्कृति को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।   वनवासी कल्याण आश्रम का उद्देश्य सम्पूर्ण जनजाति समाज के समग्र विकास के लिए कार्य करना है। कई स्थानों पर विभिन्न खेल सुविधाएं भी विकसित की गई हैं।
भारत का जनजातीय समुदाय और वनवासी कल्याण आश्रम
वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा किए जा रहे कुछ सेवा कार्य :
  • छात्रावास की सुविधा: लड़कों के लिए 191 छात्रावास और लड़कियों के लिए 48 छात्रावास बनाए गए हैं।
  • शिक्षा केंद्र: अब तक 455 औपचारिक शिक्षा केंद्र बनाए जा चुके हैं और पूरे देश में 3478 अनौपचारिक शिक्षा केंद्र काम कर रहे हैं। इससे 63000 से अधिक लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
  • कृषि विकास केंद्र: कम लागत में बेहतर पद्धतियों के साथ उपज में सुधार के लिए 56 केंद्रों का विकास किया गया है।
  • कौशल विकास केंद्र: युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और जीवन स्तर में सुधार के लिए देश भर में 104 कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की है।
  • स्वयं सहायता समूह: स्वयं सहायता समूह आपसी सहयोग से स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखते हैं।  अब तक 3348 समूह बनाए गए हैं।
  • चिकित्सा सुविधाएं: 16 अस्पताल बनाए गए और 287 चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए।  4277 ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ता इन लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं।
वनवासी कल्याण आश्रम ने सफलता की कई इबारतें लिखी हैं। जिनमें से एक है वैज्ञानिक सोहन कुमार की। कल्याण आश्रम स्कूल के छात्र सोहन कुमार चंद्रयान -2 का हिस्सा थे।
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