भारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है- डॉ. नारायण लाल गुप्ता

भारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है- डॉ. नारायण लाल गुप्ता

भारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है- डॉ. नारायण लाल गुप्ताभारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है- डॉ. नारायण लाल गुप्ता

सीकर, 23 नवम्बर। अरावली वेटरनरी कॉलेज सीकर एवं रुक्टा (राष्ट्रीय) के तत्वावधान में “स्वराज 75 और हमारा दायित्व” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन आज अ.भा.राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। मुख्य वक्ता अ. भा.राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अतिरिक्त महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता थे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रुक्टा राष्ट्रीय के महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर विभिन्न विषयों पर आयोजित होने वाली संगोष्ठियाँ जनमानस में भारत की भव्यता का प्रकाशन करने और उसके प्रति हम सब के दायित्व के प्रति जागरण भाव पैदा करने का महनीय ध्येय पूरा कर सकेंगी।

मुख्य अतिथि महेन्द्र कपूर ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक पहचान अतुल्य और अद्भुत है। स्वाधीनता का अमृत महोत्सव यह चिंतन और मनन करने का अवसर देता है कि स्वाधीनता आंदोलन केवल भौगोलिक स्वाधीनता और राजनैतिक सत्ता हस्तान्तरण के लिए नहीं, अपितु भारत की सनातन पहचान को बचाए रखने के लिए था। भारतीय शाश्वत जीवन मूल्य, सर्व पन्थ सद्भाव, जाति, क्षेत्र, भाषा, रीति रिवाज जैसी सांस्कृतिक विशेषताएं सच्चे अर्थ में भारत का स्व हैं। इसी स्वत्व की चेतना से भारत सदैव मनुष्यता का पथ प्रदर्शक रहा है।

मुख्य वक्ता डॉ. नारायण लाल ने कहा कि भारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है। भारत सनातन जीवित राष्ट्र है। भारत आध्यात्मिक लोकतन्त्र का सदियों से समर्थक रहा है। हमारे लिए राजनैतिक सत्ता से अधिक सबका भारत, सबके लिए भारत, जीवन मूल्यों के लिए समर्पित भारत का विचार अधिक महत्वपूर्ण है। इसी स्वत्व का स्मरण नयी पीढ़ी को कराना स्वाधीनता का अमृत महोत्सव का व्यापक हेतु है।

भारत का स्वभाव मूलत: लोकतांत्रिक है- डॉ. नारायण लाल गुप्ता

सभी संभागियों का स्वागत और धन्यवाद संगोष्ठी आयोजन सचिव डॉ. अशोक कुमार महला ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पवन कुमार जोशी ने की। दो दिवसीय इस संगोष्ठी में राजस्थान सहित अन्य प्रान्तों से बड़ी संख्या में संभागीगण और अध्येता दायित्व बोध पर विमर्श करेंगे।

संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता चितरंजन सिंह राठौड़ ने की तथा मुख्य वक्ता डॉ. सुरेंद्र डी. सोनी रहे। द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता भंवरदान (संघ के विभाग सम्पर्क प्रमुख) ने की तथा सत्र संचालन डॉ. राजेंद्र सिंह, डॉ. चेतन जोशी व डॉ. रोहित बैरवाल ने किया। तकनीकी सत्र में 30 पत्र वाचन हुए।

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