भारत के टुकड़े करने की हो रही अब भी तैयारी है….

भारत के टुकड़े करने की हो रही अब भी तैयारी है....

लक्ष्मण राज सिंह मरकाम

भारत के टुकड़े करने की हो रही अब भी तैयारी है....

भारत माता बाँट रहे वो ,
सत्ता के गलियारों में।
कितने टुकड़े और करोगे ,
सत्ता के बाज़ारों में ।1 ।

मुग़ल पठानों ने लूटा और ,
धर्म विहीन कर छोड़ दिया।
अंग्रेज़ों ने भारत माँ को ,
कई टुकड़ों में तोड़ दिया ।2।

दुनिया भर के कई देशों में ,
कितनों का संहार किया।
भूमि लूटी, धर्म उजाड़ा ,
देहों का व्यापार किया ।3 ।

लाखों लाशें चुनी हुई हैं ,
उनकी बड़ी बड़ी मीनारों में।
फिर भी उनकी चीख़ें ,
चिल्लाती हैं अंधियारों में ।4 ।

भारत में गोरों से टकराए सब ,
अपने पुरखों की ताक़त से।
वापस आज़ादी ले आए ,
वो बलिदानों की चाहत से । 5 ।

अमेरिका, यूरोप, कनाडा ,
अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया तक।
सबका मूल मिटा डाला ,
बचे हुए हैं कितने अब ।6 ।

भारत अब भी बचा हुआ है ,
गोरों की ज़ंजीरों से।
फिर भी संकट घिरा हुआ है ,
विघटन की शमशीरों से । 7 ।

भारत के टुकड़े करने की
हो रही अब भी तैयारी है।
आज निगाहें गिद्ध बनी हैं ,
भाषा रंग व पंथ भेद भारी है । 8 ।

भूल ना जाना बिरसा को तुम ,
टँट्या, पूंजा, झलकारी को।
अपनी जान गंवा बैठे वो ,
तुमको स्वराज दिलाने में ।9 ।

तुम भूल गए वो ज़ख़्मी थे ,
उनके वहशी मंसूबों से ।
भाषा बोली पंथ भेद की ,
गहरी काली करतूतों से ।10 ।

फिर से करने हमको ग़ुलाम ,
कर दिया उत्सवों में व्यस्त ।
लाखों लाशों पर बैठे गोरों ने ,
हमको दे डाला नौ अगस्त । 11 ।

ये भारत का मूल नहीं, छल है ,
संस्कृति हमारी करता निर्बल ,
छाएँगे अलगाव के कई बादल ,
क्षेत्रवाद को मिलेगा फिर से बल ।12।

चलो हम अपना दिवस मनाते हैं ,
बिरसा, पूंजा, दुर्गा, टँट्या को।
फिर से उनका क़र्ज़ चुकाते हैं
उनके चरणों में शीश झुकाते हैं ।13।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *