भारत में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों?

भारत में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों?

रामस्वरूप अग्रवाल

भारत में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों?भारत में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों?

बीते 22 जून को जब असदुद्दीन ओवैसी झारखंड की राजधानी रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर जहाज से उतरे तो उनके स्वागत को आए समर्थकों ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। भारत में ऐसे नारे कोई पहली बार नहीं लगे हैं। मात्र एक माह पूर्व 22 मई, 2022 को झारखंड के ही शिलाडीह में पंचायत समिति सदस्य चुनी गई अमीना खातून के विजयी जुलूस में भी ऐसे नारे सुनाई दिए थे। 62 लोगों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। इन्हीं चुनावों में 12 अप्रैल, 2022 को गिरिडीह जिले के गांडेय प्रखंड में प्रत्याशी मोहम्मद शाकिर हुसैन के जुलूस में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए। वहां के कुछ लोगों का कहना था कि स्थानीय मदरसा में पाकिस्तान के गुणगान करने का पाठ पढ़ाया जाता है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में 20 अगस्त, 2021 को मुहर्रम के मौके पर एक कार्यक्रम में ऐसे नारे लगाते हुए सात लोगों को पकड़ा गया। उत्तर प्रदेश में नोएडा के पिनगवां में सुल्तानपुर निवासी इरशाद का 27 अक्टूबर, 2021 को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह ऐसे नारे लगाते हुए भारत के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग करते दिखाई दे रहा था। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के रोड शो में कई जगह ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगे। उत्तर प्रदेश के हंडिया विधानसभा क्षेत्र में सपा की चुनाव सभा में 8 फरवरी, 2022 को ऐसे ही नारे लगाए गए। असम के सांसद बदरुद्दीन अजमल के स्वागत में सिलचर में नवम्बर 2020 को, गुजरात में 26 दिसम्बर, 2021 को कच्छ में पंचायत चुनाव के विजयी जुलूस में, छत्तीसगढ़ के भिलाई में कांग्रेसी पार्षद मन्नान गफ्फार खान व सलमान के विजयी जुलूस में, 22 मार्च, 2022 को मंगलौर के बसपा विधायक हाजी सरवत व करीम अंसारी की जनसभा में मंच से ऐसे नारे सुनाई दिए।

दिल्ली, लखनऊ व बेंगलूरू में सीएए और एनआरसी के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन में भी ऐसा ही हुआ था। बेंगलूरू में मंच पर एक छात्रा अमूल्या लियोन द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने पर हुई उसकी गिरफ्तारी के विरुद्ध वामपंथियों सहित तथाकथित मानवाधिकारवादियों एवं सेक्युलरवादियों ने बड़ी हाय-तौबा मचाई थी। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ऐसे नारे लगाए जाने की बात जग जाहिर है।

ये कुछ घटनाएं हाल ही के वर्षों की हैं। परन्तु 1947 में विभाजन के बाद से ही समय-समय पर पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा सुनाई देता रहा है। उदाहरण के लिए स्वाधीनता मिलने के मात्र एक वर्ष के अंदर 6 जुलाई, 1948 को मुरादाबाद में एक दुकानदार अपने बर्तनों पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ खुदवाते हुए पकड़ा गया था। क्रिकेट में यदि भारत के विरुद्ध पाकिस्तान जीत रहा हो तो कई मुस्लिम युवाओं द्वारा खुशियां मनाने एवं ऐसे नारे लगाने के समाचार आते रहे हैं। (यहां तक कि 1983 में सीमित ओवर के भारत-वेस्टइंडीज के मैच में भारत के हारने पर कश्मीर के श्रीनगर स्टेडियम में लोगों ने खुशियां मनाईं और पाक जिंदाबाद के नारे लगाए।)

सपा, बसपा, कांग्रेस, तृणमूल आदि के मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनावों में विजयी होने पर ऐसे नारे लगाने के मायने क्या हैं? क्या नारे लगाने वालों के मन में यह विचार आता है कि भारत में मुस्लिम प्रत्याशी यदि जीत गया तो मानो पाकिस्तान ही जीत गया? या फिर वे इन मुस्लिम प्रत्याशियों में ‘इस्लामी भारत’ की छवि देखते हैं? जिन नेताओं के स्वागत में या विजयी जुलूस में ऐसे नारे लगते रहे हैं, उन्होंने कभी भी अपने समर्थकों के इस कृत्य की भर्त्सना नहीं की, बल्कि ऐसे लोगों का बचाव ही करते दिखे। नेताओं की इस प्रवृत्ति के कारण जिनके मन में पाकिस्तान पल रहा है, उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। ऐसी प्रवृत्ति के विरुद्ध मुसलमानों का कुछ नहीं बोलना उन्हें कटघरे में खड़ा करता है।

आज राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय मान-बिन्दुओं, राष्ट्रीय पर्वों को मस्जिद या मदरसों में सम्मान प्राप्त होना तो दूर की बात है, उनके अनेक मतावलंबी इनका विरोध करते दिखाई देते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश की सरकार को स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस मनाने, तिरंगा फहराने तथा राष्ट्रगीत गायन के लिए मदरसों को न केवल आदेश देना पड़ा वरन् इसका वीडियो भी बतौर साक्ष्य भेजने के लिए कहना पड़ा।

हम मानकर चलते हैं कि आम मुसलमान भारत के साथ खड़ा है। कई मुसलमान सैनिकों व सैन्य अधिकारियों ने पाक के विरुद्ध युद्ध में वीरता दिखाते हुए अपना बलिदान भी दिया है। परन्तु, इस समाज के कई दिशा-भ्रमित युवा जब ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाते हैं तो पूरे समाज के नेतृत्व को तथा समाज के पढ़े-लिखे लोगों को ऐसी घटनाओं की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए तथा ऐसे युवाओं को लताड़ा जाना चाहिए। जब भारत के साथ जिंदगी की डोर बांध ली है तो पाकिस्तान से प्रेम क्यों? •

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *