भारत विकास परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन भव्यता, सार्थकता व पूर्णता के साथ सम्पन्न
भारत विकास परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन भव्यता, सार्थकता व पूर्णता के साथ सम्पन्न
कोटा। 24 व 25 दिसम्बर को शैक्षणिक, औद्योगिक व पर्यटन नगरी कोटा में भारत विकास परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन भव्यता, सार्थकता, प्रभावोत्पदकता व पूर्णता के साथ सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में सम्पूर्ण भारत से लगभग 3 हजार सदस्य सम्मिलित हुए। राजस्थान पश्चिम प्रान्त की 18 शाखाओं के पंजीकृत 114 सदस्यों में से 106 सदस्यों ने सहभागिता की।
24 दिसम्बर को निर्धारित समय प्रातः 10.20 बजे ध्वजारोहण के साथ अधिवेशन का शुभारम्भ हुआ। उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि ALLEN के चेयरमैन गोविन्द माहेश्वरी ने प्रेरक उद्बोधन दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह सन्धु ने उद्घाटन भाषण दिया तथा राष्ट्रीय महामंत्री श्याम शर्मा ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुन्दाराव ने कहा कि परिषद सब प्रकार से सम्पन्न लोगों का समूह है, जो एक creative minority हैं, समाज को दिशा देते हैं। सज्जन शक्ति का जागरण करना हमारा दायित्व है। भारत विकास परिषद एक गैर राजनैतिक संगठन है। उन्होंने संगठन में आर्थिक अनुशासन, पारदर्शिता व शुचिता बनाये रखने पर जोर दिया। उन्होंने परिषद कार्यों में मातृशक्ति को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
द्वितीय सत्र में समस्त क्षेत्रीय महासचिवों द्वारा अपने अपने क्षेत्र का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। राष्ट्रीय प्रकल्पों का प्रतिवेदन प्रकल्प चेयरमैन/ सचिवों द्वारा प्रस्तुत किया गया। पर्यावरण प्रकल्प के राष्ट्रीय चेयरमैन प्रो. प्रेमजीत सिंह ने वृक्षारोपण महाभियान के लिए चान्दरतन डागा का विशेष उल्लेख किया।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री (तीन क्षेत्र) विक्रांत खण्डेलवाल ने औपचारिक बैठकों के साथ साथ अनौपचारिक बैठकें आयोजित करने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इनमें व्यवहारिक बिन्दुओं पर चर्चा व समाधान होना चाहिए।
चतुर्थ सत्र में मुकुन्दाराव ने भारत विकास परिषद की अवधारणा व उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत हमारा परिचय है, विकास हमारा उद्देश्य है तथा परिषद हमारी कार्य पद्धति है। केवल भौतिक विकास से राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता, इसके लिए चरित्र निर्माण आवश्यक है। भौतिक विकास रोटी, कपड़ा और मकान तक सीमित है, जबकि सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य व सम्मान भी आवश्यक है। उन्होंने सामाजिक समरसता व सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने तन – मन – धन के समर्पण के साथ ही बुद्धि के समर्पण की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि बुद्धि का समर्पण नहीं होने पर अहंकार आने की सम्भावना रहती है तथा सामाजिक संगठनों में अंहकार खतरनाक हो सकता है। इसके लिए समय का भी समर्पण महत्वपूर्ण है। समाज के लिए “Tailoring the time” की आवश्यकता है।
25 दिसम्बर को छठे सत्र में पूज्य महामण्डलेश्वर उत्तम स्वामी जी महाराज का आशिर्वचन प्राप्त हुआ। उन्होंने सेवा को परमात्मा की प्राप्ति का सहज मार्ग बताया। अपने ओजस्वी उद्बोधन में उन्होंने भारत विकास परिषद द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। राष्ट्रीय महामंत्री श्याम शर्मा ने प्रत्येक शाखा को सेवा बस्ती के 10 परिवारों का अध्ययन कर उन्हें स्वस्थ व आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाने का आग्रह किया। इसके लिए मातृशक्ति का सहयोग लें। प्रत्येक शाखा से 10 सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं की सूची भिजवाएं, जिन्हें इस कार्य के लिए प्रेरित किया जा सके।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन ने भारत को संवेदना युक्त राष्ट्र बनाने के लिए पीड़ित के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता बताई। उन्होंने परिषद के पांचों सूत्रों – सम्पर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा व समर्पण की विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे कार्यक्रम प्रभावशाली हों, नियमित बैठकें हों तथा हमारे कार्यों की व्यापक समीक्षा हो।
समापन सत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह सन्धु ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में हमारे वैचारिक अधिष्ठान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी के लिए भारत भूमि मात्र हो सकता है, लेकिन हमारे लिए भारत मातृभूमि है। मातृभूमि के प्रति समर्पण भाव से जरूरतमंदों की सेवार्थ किये जाने वाले कार्यों से अधिक पावन व पुनीत कुछ भी नहीं है।
कोटा में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की समस्त व्यवस्थाएं अभूतपूर्व थीं। कोटा महानगर की 12 शाखाओं ने राजस्थान दक्षिण पूर्व प्रान्त व उत्तर पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में अधिवेशन को ऐतिहासिक बना दिया। आवास, भोजन, यातायात, अधिवेशन स्थल व्यवस्था आदि सभी उत्कृष्टता लिए थीं। 24 दिसम्बर की रात्रि में आयोजित सांस्कृतिक संध्या अनुपम छटा लिए थी। सांस्कृतिक संध्या में ALLEN चेयरमैन गोविन्द माहेश्वरी ने एक से बढ़कर एक भजनों की शृंखला प्रस्तुत कर सभी को देर रात तक बांधे रखा।