भारत ही संसार को दिशा देगा – राघवाचार्य
जयपुर 31 मार्च। विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा संत मार्गदर्शक मण्डल बैठक में अपने उद्धबोधन में महामण्डलेश्वर राघवाचार्य ने कहा कि विद्या, शांति और शांति का सूत्रपात भारत से हुआ और आने वाली सदी भी भारत की होगी।
संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र, विहिप के संगठन मंत्री राजाराम, केन्द्रीय मंत्री उमा शंकर, वरिष्ठ प्रचारक शिव लहरी, जुगल किशोर, सूर्य प्रकाश ने अपने उद्धबोधन में इस बात पर बल दिया कि भारत में सामाजिक समानता और समरसता हेतु संत समाज को मठ मंदिरों से बाहर आकर विभिन्न मानव बस्तियों में कार्य करें।
जयपुर स्थित कौशल्यादास जी की बगीची में आयोजित बैठक में कनक बिहारी मंदिर के महामण्डलेश्वर सियाराम, हाथोज मंदिर के महामण्डलेश्वर बालमुकुन्दाचार्य ने कहा कि सिर्फ संत की वेशभूषा धारण करना ही पर्याप्त नहीं होगा, जब तक कि युवा पीढ़ी में अपने धर्म व संस्कृति के संस्कार नहीं दिये जायेंगे तब तक संत की भूमिका अपूर्ण रहेगी। आर्ष विद्यापीठ के प्रणेता संत ब्रह्मपरानन्द सरस्वती ने बताया कि वे बहुत से स्थानों पर बालकों को संस्कार शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं और आवश्यक होने पर अन्य स्थानों पर भी यह कार्य करने को तत्पर हैं।
महामण्डलेश्वर रामसेवकदास ने कहा कि पराधीनता के कालखण्ड में भारत में विदेशी आक्रान्ता सनातन सभ्यता को मिटाने में पूरी तरह असफल रहे।
संत बालकदास ने खुली चुनौती देते हुए हिन्दू समाज का आह्वान किया कि यदि समाज ने अपनी भूमिका को ठीक से पहचाना नहीं तो निश्चित रूप से पिछड़ जाएंगे।
आगामी कार्यक्रम की तैयारी बैठक के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में रामसेवकदासजी, सियारामशरणदास, महामण्डलेश्वर सियाराम महाराज, कनक बिहारी गलता गेट, महामण्डलेश्वर रामसेवकदास जी (पापड़ के हनुमान जी) महामण्डलेश्वर बालमुकुन्दाचार्य महाराज (दक्षिणमुखी बालाजी हाथोज) महामण्डलेश्वर मनोहरदास महाराज, ब्रह्मपरानन्द जी महाराज, वेदान्ती पूज्य हरिशंकर दास जी महाराज, रामशरणदासजी महाराज (कौशल्यादासजी की बगीची, जयपुर) सियारामदासजी महाराज (सांवलदास की बगीची) बालकनाथजी महाराज (सवाई माधोपुर) राजेश्वरानन्द जी महाराज (निर्माण नगर जयपुर), ज्ञानानन्द जी महाराज (निवाई पिपली) महामण्डलेश्वर पुरुषोत्तमदास जी (दादू सम्प्रदाय मानसरोवर) श्री भीमदास जी महाराज (शाहपुरा) श्री कान्हादास जी महाराज (कौशल्यादस जी की बगीची), पूज्य अंग पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी महाराज (रेवासा पीठ सीकर), पूज्य प्रकाशदास जी महाराज (नरैना), पूज्य चेतनदास जी महाराज, पूज्य राघवाचार्य, पूज्य सुदर्शन महाराज, कृष्ण अच्युतानन्द जी महाराज सहित तीस से अधिक भिन्न भिन्न पद्धतियों के संतों ने आशीर्वचन कहे।