भोपा परिवार की मुश्किल घड़ी में सहारा बने संघ के स्वयंसेवक
भोपा परिवार की मुश्किल घड़ी में सहारा बने संघ के स्वयंसेवक
जयपुर। मूंडिया रामसर गांव स्थित भोपा बस्ती में हंसी खुशी का वातावरण था। बस्ती के ही चेनाराम भोपा के बेटे का विवाह था। पूरी बस्ती रविवार को बारात ले जाने की तैयारियों में व्यस्त थी। शनिवार का भोज चेनाराम के घर पर था। भोजन बन ही रहा था कि अचानक आंधी आ गई। तेज हवा में कोई चिंगारी पास पड़ी लकड़ियों तक पहुंच गई। कोई कुछ कर पाता, उससे पहले ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। चेनाराम भोपा की झोपड़ी के साथ ही तीन अन्य झोपड़ियां भी जल कर खाक हो गईं। इस आग में चेनाराम की झोपड़ी ही नहीं जली, शादी के सामान सहित घर में रखा सारा सामान, उधार के पैसे और सपने भी जल गए। बाहर खड़ी तीन मोटर साइकिलें भी स्वाहा हो गईं। देखते ही देखते खुशियां दुख और चिंता में बदल गईं। अब घर में गहने, कपड़े तो दूर खाने के लिए दाना भी नहीं बचा था। चेनाराम ने शादी के लिए दो लाख रुपए किसी से उधार लिए थे, उनमें से एक लाख सत्तर हजार रुपए अब राख बन चुके थे।
जैसे ही यह समाचार संघ की प्रेरणा से चल रहे घुमंतू जाति उत्थान न्यास के पास पहुंचा, स्वयंसेवक सक्रिय हो गए। सभी ने आपस में मिलकर सबसे पहले तो पीड़ितों के लिए 30 किलो आटे समेत, तेल, चीनी, दाल, नमक, मसालों व चाय पत्ती की व्यवस्था की और फिर मुहूर्त अनुसार रविवार को ही बारात रवाना करवाई। गॉंव के लोगों ने भी 8,500 रुपए इकट्ठे कर चेनाराम के परिवार को सौंपे।