मतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती

मतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती- जनजाति सुरक्षा मंच

मतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती- जनजाति सुरक्षा मंचमतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती

खरगोन (मध्यप्रदेश)। अनुसूचित जनजाति वर्ग के वे लोग जो धर्म बदलकर ईसाई या मुसलमान बन चुके हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती है। जिस प्रकार संविधान के अनुच्छेद 341 में अनुसूचित जाति के मतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं देने का प्रावधान है, ठीक वैसा ही प्रावधान अनुच्छेद 342 में संशोधित कर अनुसूचित जनजाति के मतांतरित लोगों का आरक्षण समाप्त किया जाए। वर्तमान में यह मांग हमारे जीवन-मरण का प्रश्न है। उक्त मांग को लेकर हम देशभर में जनजागरण कर रहे हैं। मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में देश की संसद के समक्ष बड़ा आंदोलन किया जाएगा। शनिवार को जनजाति सुरक्षा मंच खरगोन द्वारा जिला मुख्यालय पर डिलिस्टिंग को लेकर हुई सभा व महारैली में मुख्य अतिथि वनवासी कल्याण परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने उक्त विचार व्यक्त किए।उन्होंने अनाज मंडी प्रांगण में हुई सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज जनजातीय समाज की धर्म-संस्कृति, रीति-रिवाज लुप्त होते जा रहे हैं। हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा, जूझना पड़ेगा, संघर्ष करना पड़ेगा। डिलिस्टिंग की लड़ाई देश की स्वतंत्रता की लड़ाई की तरह है। हमारे साथ सत्य, न्याय, संविधान व सज्जन शक्तियां हैं। हम आज नहीं तो कल यह लड़ाई जीतकर रहेंगे।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के समय अनुसूचित जनजाति को आरक्षण से वंचित रखा गया था। संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर ने अजजा वर्ग को लंबे समय तक आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया। वर्तमान में अजजा वर्ग के लिए आवंटित बजट के अधिकांश हिस्से का लाभ ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग उठा रहे हैं। डिलिस्टिंग की मांग न्यायोचित है। सरकार को संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन कर मतांतरित हो गए लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित करना होगा।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथि सत्येंद्र सिंह, न्यायाधीश प्रकाश सिंह उइके, जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संरक्षक छतरसिंह मंडलोई, सामाजिक कार्यकर्ता रामसिंह गिरवाल, संत रूपसिंह बाबा, ईश्वर सिंह परिहार, नजराजी महाराज, मांगनिया भाई किराड़े, टर्मिला मंडलोई, टुपलीबाई सिसौदिया आदि ने टंटया मामा भील, भगवान बिरसा मुंडा, रघुनाथजी मंडलोई, सबरी माता, कार्तिक उरांव जी के चित्र का पूजन, माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर किया। अतिथि परिचय अमर वस्ले ने किया।

प्रांत संरक्षक छतरसिंह मंडलोई ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि देश की 700 से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था। उक्त सुविधाओं का लाभ उन जनजातियों के स्थान पर वे लोग उठा रहे हैं जो अपना धर्म छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं। दुर्भाग्य की बात है कि कुछ मतांतरित लोग जो अपनी संस्कृति, आस्था, परंपरा को त्यागकर ईसाई या मुसलमान हो गए हैं, इन सुविधाओं का 80 प्रतिशत लाभ मूल जनजाति समाज समुदाय से छीन रहे हैं। जनजातीय नेता कार्तिक उरांव ने डिलिस्टिंग की मांग को लेकर बड़ा संघर्ष किया। जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वाधान में देश के 280 जिलों में डिलिस्टिंग महारैली हो चुकी है।

संत रूपसिंह बाबा ने कहा कि हमें अपनी धर्म-संस्कृति को मिटने नहीं देना है। हम जनजातीय समाज के लोग सनातन धर्म-संस्कृति को मानने वाले हैं। अपनी जाति व रीति-रिवाज कभी नहीं छोड़ना। टर्मिला मंडलोई ने उपस्थित जनसमुदाय को डिलिस्टिंग का अर्थ समझाया। श्री उइके ने मुस्लिम व्यक्ति को मिला अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र दिखाते हुए कहा कि आज अजजा को मिले आरक्षण का लाभ ईसाई व मुस्लिम उठा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन होना आवश्यक है। आदिवासी लोकगीत गायक चंपालाल बड़ोले ने स्वरचित गीत के माध्यम से डिलिस्टिंग की आवश्यकता व सनातन धर्म-संस्कृति की विशेषता बताई।

महारैली में गूंजी डिलिस्टिंग की मांग

दोपहर बाद अनाज मंडी प्रांगण से निकली महारैली में पारंपरिक वेशभूषा व ढोल-मांदल के साथ शामिल जनजातीय बंधु डिलिस्टिंग के समर्थन में नारे लगाते हुए चल रहे थे। हाथों में तख्तियां लेकर मतांतरित जनजातियों का आरक्षण समाप्त हो…, मतांतरण बंद करो, धर्म संस्कृति की रक्षा करो…, जो भोलेनाथ का नहीं, वो मेरी जात का नहीं…, मतांतरित हो गए लोगों को अनुसूची से हटाओ…, डिलिस्टिंग सिर्फ नारा नहीं, आरक्षण अब तुम्हारा नहीं… आदि नारे लगा रहे थे। शहर के प्रमुख मार्गों पर निकली रैली का नगरवासियों ने अनेक स्थानों पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

मतांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ देना संवैधानिक डकैती- जनजाति सुरक्षा मंच

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *