सकारात्मकता, आत्मविश्वास व धैर्य के साथ हम लड़े तो महामारी से जीत जाएँगे

सकारात्मकता, आत्मविश्वास व धैर्य के साथ हम लड़े तो महामारी से जीत जाएँगे

डॉ. नीलम यादव

सकारात्मकता, आत्मविश्वास व धैर्य के साथ हम लड़े तो महामारी से जीत जाएँगे

कोविड महामारी के तांडव ने लोगों के जीवन में भूचाल खड़ा कर दिया है। दिनभर की कोरोना की खबरों से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अवसाद व आक्रोश की व्याप्ति है। अब मरने का नहीं, जीने का डर है। संक्रमित होने पर हमें दवाइयां, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर मिल पाएगा या नहीं। अचानक जीवन में आये इस तनाव और चिंता ने मनुष्य के समक्ष अनंत चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सरकार मानवता को बचाने का भरसक प्रयत्न करती नजर आ रही है।

एक तरफ भारत में कोविड महामारी तेजी से अपने पैर पसार रही है तो दूसरी तरफ इस अवसर को अराजकता में बदलने वाले असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो गए हैं। भारतीय इससे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हाँफती सांसों से मानव जीवन  कैसे बचाया जाये इसी के नित नए प्रयास हो रहे हैं। वहीं कोरोना वायरस से जूझ रहे देश में आबादी की तुलना में सीमित संसाधन और सीमित संसाधनों की कालाबाजारी के समाचार भी आ रहे हैं, प्रतीत होता है घोर कलयुग आ गया है। जिस जीवन को जीने के लिए मनुष्य ने हजारों सपने देखे थे आज विवश है, मजबूर है, लाचार है। सबका विश्वास आज अदृश्य शक्ति पर टिका हुआ है वहीं से संबल है, वहीं से हौंसला है, वही जीवन का सहारा है। रोज सुबह-शाम प्रार्थना होती है, हे ईश्वर मानवता की रक्षा करो। आप ही सृष्टि रचयिता हो, आप ही सृष्टि पालनहारा हो, आप ही सृष्टि संहारा हो। बस बहुत हो गया अब रक्षा करो।

जिस प्रकृति को मनुष्य दोहन करने में लगा था, आज उसी प्रकृति ने मनुष्य को एहसास करा दिया है कि प्रकृति के सामानंतर ही उसकी सांसें चल सकती हैं। महामारी के इस दौर में मनुष्य को अच्छे से एहसास हो गया है कि प्रकृति, परिवार और सामाजिक अनुबंध का हमारे जीवन में क्या महत्व है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में मौजूदा सामाजिक अनुबंध टूट चुके हैं। कारण है तकनीकी बदलाव, कामकाज के बदलते स्वरूप और व्यक्तिवादिता की भावना। इन संकट की घड़ियों में हर मनुष्य स्वस्थ रहे इसके लिए सामाजिक सरोकार व सहयोग की आवश्यकता है। विपरीत परिस्थितियों में हर मनुष्य से अपेक्षा है वे मानवता की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देकर एक दूसरे को संबल व सहयोग प्रदान करें। आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी को रोकने में अपना सकारात्मक सहयोग दें। सभी समझदारी दिखाएं तो न दवा कम पड़ेगी न ऑक्सीजन। स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, सकारात्मक सोच आत्मविश्वास और धैर्य के साथ हम लड़े तो इस कोरोना महामारी को भी जीतकर दिखाएंगे।

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