कोरोना महामारी में स्वरा भास्कर, राणा अयूब, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण कहॉं हैं?

कोरोना महामारी में स्वरा भास्कर, राणा अयूब, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण कहॉं हैं?

वेद माथुर

कोरोना महामारी में स्वरा भास्कर, राणा अयूब, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण कहॉं हैं?

हमारे देश में आंदोलन करवाने वाले कुछ प्रोफेशनल लोग हैं।इनमें से अधिकांश का रोजगार और आय का माध्यम आंदोलन करना और करवाना है। इसलिए इन्हें आंदोलनजीवी भी कहा जाता है। अपने आंदोलन के इस ‘बिजनेस’ से ये करोड़पति ही नहीं वरन अरबपति भी हो गए हैं। ये नए नए मुद्दे ढूंढ कर लाते हैं – जैसे असहिष्णुता, लिंचिंग, सीएए और न जाने क्या-क्या?

इन आंदोलनजीवियों में कन्हैयालाल, स्वरा भास्कर, राना अयूब, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव जैसे कुछ जाने माने नाम हैं। इनका एक मुद्दा टाँय-टाँय फिस्स होता है तो ये नया मुद्दा पकड़ लेते हैं। इनके अपने आंदोलन फ्लॉप हो जाते हैं तो कोई ओर आंदोलन कर रहा होता है तो उसकी गोद में जाकर बैठ जाते हैं।

खैर, समाज के विभिन्न मुद्दों के प्रति इतने ‘जागरूक’ रहने वाले ये लोग इस कोरोना महामारी में गायब हैं। कन्हैयालाल कहीं नजर नहीं आ रहे। काश स्वरा भास्कर सोनू सूद द्वारा किए जा रहे कार्यों का 1% काम करके ही दिखा देती। योगेंद्र यादव किसान आंदोलन के माध्यम से अराजकता के साथ-साथ कोरोना वायरस फैलाने में लगे हैं। किसी महामारी पीड़ित को दो रोटी जुगाड़ करवाने में उन्होंने कभी मदद नहीं की। प्रशांत भूषण भी अरबपति हैं पर किसी की सहायता के लिए जेब से धेला भी नहीं निकाला और राना अयूब अपनी सहेली बरखा दत्त के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि निरंतर खराब करने में लगी हैं।

आंदोलनजीवी योगेंद्र यादव से लेकर कन्हैयालाल तक कोई किसानों को जाकर सोशल डिस्टेंसिंग की बात नहीं समझाता क्योंकि यदि यह समझा दी गई तो दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए बचे खुचे 80 – 90 किसान भी भाग जाएंगे।

अच्छा होता कि ये सारे समाजसेवी कोरोनाकाल में जनता की सेवा करने के लिए आगे आते। इन लोगों ने प्रवासी मजदूरों के पलायन के समय बड़ी हाय – तौबा मचायी। इन्हीं लोगों ने किसान आंदोलन के समय किसानों के लिए भोजन से लेकर मालिश तक की व्यवस्था की, ताकि आंदोलन की आग में घी डाला जा सके। लेकिन पलायन करते मजदूरों को पानी तक नहीं पिलाया। (केजरीवाल ने तो षड्यंत्र करके रातों-रात प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से बाहर भगवा दिया था)

यह सच है कि देश में किसी भी संकट का सामना करने में आम आदमी की मदद करने का दायित्व केंद्र और राज्य की सरकार का ही है, लेकिन समाज के शुभचिंतक होने का दावा करने वाले ये तथाकथित एक्टिविस्ट और समाजसेवी कहां गायब हैं?

मैं भारत में अराजकता फैलाने वाली इस आंदोलनजीवी संगठित गैंग के सभी सदस्यों – कन्हैयालाल, स्वरा भास्कर, राणा अयूब, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को महामारी की मार से पीड़ित आम आदमी की ओर से हसरत जयपुरी साहब की एक प्रसिद्ध गजल समर्पित कर रहा हूं। आप भी इस का मजा लीजिए :

शोला ही सही आग लगाने के लिए आ
फिर नूर के मंज़र को दिखाने के लिए आ

ये किस ने कहा है मेरी तक़दीर बना दे
आ अपने ही हाथों से मिटाने के लिए आ

ऐ दोस्त मुझे गर्दिश-ए-हालात ने घेरा
तू ज़ुल्फ़ की कमली में छुपाने के लिए आ

मतलब तेरी आमद से है दरमाँ से नहीं है
‘हसरत’ की क़सम दिल ही दुखाने के लिए आ !
( आमद-आगमन , दरमां – उपचार )

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