महाराष्ट्र या मद्यराष्ट्र..?

महाराष्ट्र या मद्यराष्ट्र..?

अंजन कुमार ठाकुर

महाराष्ट्र या मद्यराष्ट्र..?

अनायास मिली हुई सत्ता असंतुलन उत्पन्न करती है। बात हो रही है शिवसेना के नेता संजय राउत की। समाचार यह आम है कि महाराष्ट्र सरकार ने मॉल, किराना दुकान और सुपरमार्केट्स में मदिरा का विक्रय वैध कर दिया है। अब वहॉं वाइन मिनरल वाटर की तरह बिकेगी। लेकिन विपक्ष की आपत्ति पर संजय राउत का कहना है कि “वाइन शराब नहीं होती।”

यह याद करने की बात है कि जब हिन्दू कश्मीर से भगाए जा रहे थे, उस समय शिवसेना प्रमुख बालासाहब चुनिंदा लोगों में से थे, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों की सहायता की थी। यह बात एक कश्मीरी राहुल पंडिता ने फिल्म शिकारा के रिलीज के समय रवीश कुमार के साथ अपने वार्तालाप के दौरान स्वीकार की थी। राष्ट्रहित में अग्रिम पंक्ति में खड़ी रहने वाली पार्टी की विचारधारा सत्ता सुख के लिए आज कितनी बदल गई है, यह किसी से छुपा नहीं। लेकिन उसी पार्टी का नेता खुलेआम शराब की बिक्री पर किसी भी सामाजिक उत्तरदायित्व से अपने आप को अलग रखकर बेतुका बयान दे तो आश्चर्य होता है। देखने में आता है कि जब व्यक्ति के स्वयं के सुख सामाजिक सरोकार से बड़े हो जाते हैं तब ऐसा होता है। इसे समझने के लिए संजय राउत के बयान के कारण पर एक नजर डालते हैं, जिसके लिए आपको भाजपा नेता किरीट सोमैया के बयान पर ध्यान देना पड़ेगा जो कुछ इस तरह है कि “महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला संजय राउत के परिवार को फायदा पहुँचाने के लिए लिया है, जो एक वाइन कंपनी के साथ पार्टनरशिप में है। महाराष्ट्र के बड़े उद्योगपति अशोक गर्ग की मैगपाई ग्लोबल लिमिटेड नाम की वाइन कंपनी में संजय राउत की पार्टनरशिप है। उनका इस वाइन व्यवसाय में बड़ा इन्वेस्टमेंट है। संजय राउत की दोनों बेटियाँ और पत्नी कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं। इस कंपनी का पब, क्लब्स, होटल और वाइन डिस्ट्रिब्यूशन का व्यवसाय है।” वाइन व्यवसाय में बड़ा इन्वेस्टमेंट होने के कारण ही संजय राउत मॉल्स और किराने की दुकानों में वाइन बिक्री के फैसले का समर्थन कर रहे हैं और महाराष्ट्र को ‘मद्यराष्ट्र’ बनाने में लगे हुए हैं। संजय राउत भी बगलें झांकते हुए यह स्वीकार करते हैं कि उस व्यवसायी से इनका संबंध है।

बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और सुधार के लिए कोई भी समय अनुपयुक्त नहीं होता इसलिए शिवसेना को अपने मेनिफेस्टो में यह जोड़ लेना चाहिए कि वाइन शराब नहीं है और आने वाले दिनों में यह पार्टी शराबबंदी का पूर्ण विरोध करेगी। कोई बात नहीं। कहावत को थोड़ा बदल दिया जाए शिवसेना के लिए कि “जब सोओ तभी अंधेरा”।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *