खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम प्रदर्शन

खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम प्रदर्शन

मृत्युंजय दीक्षित

खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम प्रदर्शन खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम प्रदर्शन 

वर्ष 2023 में खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ी जिस प्रकार का स्वर्णिम प्रदर्शन कर रही हैं, वह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व व आनंद की अनुभूति का विषय है। राजधानी दिल्ली में आयोजित विश्व महिला मुक्केबाजी में भारत की चार महिला मुक्केबाजों नीतू घणघस, स्वीटी बूरा, निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहाई ने पहली बार चार स्वर्ण पदक जीतकर भारत का झंडा लहराया है। भारतीय महिला मुक्केबाजी के लिए उत्सव का समय है। भारतीय महिला मुक्केबाजों की यह जीत विशेष है, क्योंकि वर्ष 2002 में महिला मुक्केबाज मेरीकॉम के उदय के बाद 17 वर्षों में पहली बार महिला विश्व कप में चार स्वर्ण पदक मिले हैं। भारतीय महिला मुक्केबाजी में मेरीकॉम ऐसा चमकता सितारा बनीं कि उनसे प्रेरणा लेकर हर दिन भारत को एक से बढ़कर एक नई प्रतिभाएं मिल रही हैं।

महिला मुक्केबाजी विश्वकप-2023 में चारों महिला खिलाड़ियों ने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन करते हुए अपनी विरोधी खिलाड़ियों को भारी अंतर से पराजित किया। विश्वकप में पहली महिला खिलाड़ी नीतू घणघस ने दमदार प्रदर्शन करते हुए मंगोलिया की खिलाड़ी अल्तांतसेतसेग को न्यूनतम भार वर्ग के एकतरफा मुकाबले में 5-0 से पराजित किया, वहीं दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने 81 किलोग्राम वर्ग में चीन की ताकतवर खिलाड़ी वांग लिना को 4-3 से हराकर चीनी साम्राज्य को जोरदार पटकनी देते हुए विश्व विजेता बनकर नया इतिहास व कीर्तिमान रच दिया। निकहत जरीन ने 50 किलोग्राम भारवर्ग में वियतनाम की महिला मुक्केबाज एनगुएन थाईताम को 5-0 से हराया और लवलीना बोहनगोई ने 75 किग्रा भारवर्ग में अपने प्रतिद्वंदी आस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर को जजों की गहन समीक्षा के बाद 5-2 से पराजित किया। भारत को इस प्रतियोगिता में इससे पूर्व 2006 में सबसे अधिक पदक मिले थे। तब मेरीकॉम, सरिता जेनी और लेखा ने चार स्वर्ण पदक प्राप्त किए थे।

इस प्रतियोगिता के दौरान जब स्टेडियम में निकहत जरीन का सांसों को रोक देने वाला मुकाबला चल रहा था, उस समय निकहत- निकहत के नारे गूंज रहे थे और रेफरी ने जैसे ही निकहत का विजयी हाथ ऊपर उठाया, पूरा स्टेडियम “भारत माता की जय” के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। निकहत जरीन इस प्रतियोगिता में दूसरी बार विजेता बनी हैं। अपने दमदार प्रदर्शन के बल पर निकहत जरीन और लवलीना ने एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया है। ये दोनों महिला खिलाड़ी 2024 पेरिस ओलिम्पिक के लिए पहली क्वालीफायर भी हैं।

महिला मुक्केबाज नीतू धनधस के लिए यह जीत कई मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि उनको विश्व विजेता बनाने के लिए उनके परिवार ने बहुत त्याग किया है। नीतू न केवल इसे स्वीकार करती हैं वरन कड़ी मेहनत से उनके त्याग व तपस्या को सफल भी बना रही हैं। जब नीतू अभ्यास के लिए अपने गांव से भिवानी आ रही थीं, तब उनके पिता ने अपनी सरकारी नौकरी से अवकाश लिया और बेटी के प्रशिक्षण सेंटर पर ही डयूटी निभाने लगे। नीतू के पिता व गुरु ने संघर्षों पर अपने अनुभव साझा किए हैं। लगभग सभी महिला मुक्केबाजों का यहां तक पहुंचने का सफर संघर्षों से भरा रहा है।

विश्व कप निशानेबाजी में ओलिंपियन महिला निशानेबाज मनु भाकर ने 25 मीटर पिस्टल में भारत को कांस्य पदक दिलाकर मैदान में तिरंगा फहराया। उधर अल्बानिया में आयोजित विश्व यूथ चैंपिनयनशिप में भारत की बेटी 14 वर्ष की ज्योत्सना साबर ने बालिकाओं के 40 किलो भारवर्ग में 115 किलो वजन और 62 किलो क्लीन एंड वर्क वजन उठाया और तीसरा स्थान प्राप्त करते हुए कांस्य पदक प्राप्त कर अपने खेल जीवन की एक महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की है।

आज भारत के खिलाड़ी सभी खेलों में अपनी मजबूत और दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, उनके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से खिलाड़ियों व खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर चलाए जा रहे अभियान और नीतियां हैं। ओलिंपिक व एशियाई खेलों सहित विभिन्न अवसरों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़कर खिलाड़ियों से वार्ता करते हैं और उनका साहस भी बढ़ाते रहते हैं।

ओलिंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत को पहला स्वर्ण दिलाने वाले नीरज चोपड़ा का अद्भुत सम्मान किया गया और उस विजय की याद में हर वर्ष 8 अगस्त को भाला फेंक दिवस मनाने की घोषणा की गई। युवाओें को प्रोत्साहन देने के लिए फिट इंडिया जैसे कई अभियान चलाये जा रहे हैं। अंडर-19 महिला विश्वकप जीतने के बाद क्रिकेट में नई महिला खिलाड़ी प्रतिभाओं की खोज के लिए महिला आईपीएल की शुरुआत की गई है।

जनमानस की मांग पर केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कर दिया। भारत में पहली बार ओलिम्पिक पदक विजेता खिलाड़ियों का सम्मान लाल किले से किया गया था। विभिन्न स्पर्धाओं में शानदार ढंग से तिरंगा फहराने वाले खिलाड़ियों को संसद में मेजें थपथपाकर सम्मानित किया गया था।

आज भारत के खिलाड़ी, प्रत्येक खेल में बेहतर प्रदर्शन करके  अमृतकाल की खुशियां द्विगुणित कर रहे हैं। आशा है आगे आने वाला समय भारतीय खिलाड़ियों के लिए और भी उज्जवल होगा। सरकार की नीतियां उनके और अनुकूल होंगी। आज खिलाड़ियों की इस सफलता के पीछे केंद्र सरकार द्वारा खेलों व खिलाड़ियों के विकास के लिए उठाए जा रहे कदम एक महत्वपूर्ण कारक हैं।

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