शराब के बाद मांस बेचने का भी टारगेट, खुलनी थीं महिला संचालित मीट शॉप

शराब के बाद मांस बेचने का भी टारगेट, खुलनी थीं महिला संचालित मीट शॉप

शराब के बाद मांस बेचने का भी टारगेट, खुलनी थीं महिला संचालित मीट शॉप

  • ग्रामीण महिलाओं के विकास हेतु सरकार की महिला संचालित मीट शॉप खोलने की योजना
  • विरोध के बाद बैकफुट पर सरकार, आदेश रद्द

राजस्थान में अब तक केवल सरकार के द्वारा शराब की दुकानें और बीयर बार खोलने का लक्ष्य रखा जाता था और शराब बिक्री का टारगेट शराब विक्रेताओं को दिया जाता था, लेकिन अब सरकार मांस बेचने का भी टारगेट दे रही है। सरकार के विभाग राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद ने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूछा है कि बीकानेर जिले में बिश्नोई समाज के बाहुल्य वाले कितने गांव हैं, ताकि वहां पर मांस की दुकानें नहीं खोलें। इस सरकारी आदेश से स्पष्ट है कि गांवों में मांस की दुकानें खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन बिश्नोई समाज के विरोध के बाद अब पत्र लिखकर अध्यक्ष से इनके बाहुल्य गांवों की सूची मांगी गई है। गांवों में महिला संचालित मीट शॉप खोलने के प्रयास से समाज के लोगों में रोष व्याप्त हो गया तथा प्रशासन को ज्ञापन देकर कड़ा विरोध जताया। जैन मुनि डॉ. पुष्पेन्द्र ने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद के इस निर्णय को समाज की भावनाओं के विरुद्ध बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह आदेश वापस लेने की मांग की है।

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद के द्वारा नोखा पंचायत समिति क्षेत्र के गांवों में वर्ष 2020—21 में मीट की 50 दुकानें खोलने का लक्ष्य है। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा को भेजे गए पत्र में लिखा है कि हमारे प्रतिनिधि आपके समाज के बाहुल्य वाले गांव में मीट की दुकान खोलने गए तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा है। ऐसे में आपके समाज के बाहुल्य वाले गांव की सूची लिखित में महासभा के लैटर पैड पर दें, ताकि वहां पर मांस की दुकानें नहीं खोलें। पत्र का खुलासा होने पर विभिन्न संगठनों के साथ समाज के लोग विरोध पर उतर आए।

बीकानेर जिले के नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एसीएस रोहित कुमार सिंह व राजीविका स्टेट मिशन डायरेक्टर शुचि त्यागी को पत्र लिखकर राजीविका द्वारा मीट शाॅप के लक्ष्य संशोधन एवं भारतीय संस्कृति व महिला अस्मिता विरोधी कार्य को तुंरत वापस लेने की मांग की। उन्होंने बताया कि योजना में गरीब ग्रामीण महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु एक ब्लॅाक में 50 महिला संचालित मीट शॉप खोलने का प्रावधान है जो निश्चित रूप से किसी के कुत्सित व षड़यंत्रकारी दिमाग की उपज है और भारतीय संस्कृति को नुकसान करने की मंशा साफ प्रतीत होती है, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

विधायक बिश्नोई ने बताया कि यह एक ब्लॅाक तक नहीं, प्रदेश के सभी ब्लॉक में 50 महिला संचालित मीट शॅाप खोलने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं जयपुर स्तर के अधिकारी राजीविका में कार्यरत संविदाकर्मियों पर लक्ष्य को पूरा करने के लिए अनुचित दबाव डाल रहे हैं। इसका मतलब वर्तमान राज्य सरकार में प्रदेश की संस्कृति को विकृत करने व महिला सम्मान को चोट पंहुचाने का प्रायोजित षड़यंत्र चल रहा है जो कतई स्वीकार्य नहीं है। जनभावनाओं के अनुरूप इसे तुरंत रोका जाए और दोषी अधिकारियों को इसके लिए दंडित किया जाए।

गांवों में मांस की दुकानें खोलने की योजना का कड़ा विरोध होने व मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचने के बाद राजीविका बैकफुट पर आ गया और विधायक को स्पष्टीकरण भेजकर दुकानें नहीं खोलने की जानकारी दी। राजीविका स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर कीरत पटेल द्वारा भेजे गए ई-मेल में लिखा गया है कि राज्य में सभी ब्लॉक में मांस की दुकानें खोलने की योजना रद्द कर दी गई है।

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