माँ है तो सारा जहाँ है

माँ से होती पूरी हर आस है
माँ प्रेम है सृष्टि का विकास है,
माँ हर हलक की बुझाती प्यास है।

माँ जीवन है, संसार का सार है
माँ दुर्गा है, शक्ति का अवतार है,
माँ जीवन का प्रत्येक त्योहार है।

माँ शाश्वत है, माँ सनातन है,
माँ से ही रिश्तों में अपनापन है,
माँ कलुषित मन का निर्मल तन है।

माँ बिन कौन, कब, कहाँ है
माँ है तो सारा जहाँ है…।

वीरमाराम पटेल

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3 thoughts on “माँ है तो सारा जहाँ है

  1. पाथेय में स्थान देने के लिए धन्यवाद।

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