माइक के बोल : अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा (व्यंग्य)
शुभम वैष्णव
एक नेताजी बार-बार माइक को थप्पड़ मार रहे थे लेकिन माइक था कि उनकी आवाज सुनने को ही तैयार नहीं था। आखिरकार मार खाने के बाद वह बोल पड़ा – अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा, न ही आपकी आवाज बनूंगा। अब मैं सुकून से रहना चाहता हूं।
नेताजी ने पूछा ऐसा क्या हो गया जो आज तुम मुझे ही आंखें दिखा रहे हो? माइक ने गुस्से से कहा – अभी तक आप कश्मीर लेने की बात करते थे जबकि आज आप कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान से पीओके छीन सकता है। साथ ही साथ आप जिस अंदाज में आज पाकिस्तानी सरकार से कह रहे हैं कि पाकिस्तानी हुकूमत को अब कश्मीर की बात छोड़ कर अपना मुजफ्फराबाद बचाना चाहिए। मेरा मन रोमांचित हो रहा है। मैंने इतना डर आपकी बातों में या तो 1971 में देखा था या फिर अब देख रहा हूं। मुझे यह डर अच्छा लग रहा है।
पुलवामा हमला करने के बाद पाकिस्तान को बालाकोट में जो सबक मिला था, उसके बाद मैंने आपके जो आंसू देखे थे, उनको याद करने मात्र से मेरा मन मुझे धिक्कारता है क्योंकि तब आपके भड़काऊ भाषणों को आवाज मैंने ही दी थी।
आज तक आप अपने पाकिस्तानी आकाओं के सुर में सुर मिलाकर आतंकवादी दाऊद के पाकिस्तान में होने की बात नकारते रहे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव में आज पाकिस्तान के साथ ही आपको भी कबूल है, कबूल है, कहना पड़ रहा है। आपकी ये सब बातें सुनकर आज मुझे बड़ा चैन मिला है। इसलिए अब मैं आपका और साथ नहीं देना चाहता। इतना कहकर माइक फिर से मौन हो गया।