‘मेरा वाला’ नाम का टैटू (कविता)
अनामिका चक्रवर्ती अनु
‘मेरा वाला’ नाम का टैटू (कविता)
टुकड़ों टुकड़ों में कट चुकी प्रेमिकाओं के
एक भी टुकड़े में यह दम नहीं है कि वह
जीती जागती हंसती बोलती प्रेमिका बनती लड़कियों के
दिल और दिमाग से ‘मेरा वाला’ नाम का टैटू मिटा सके
या उनकी आंखें खोल सके।
‘मेरा वाला’ सिर्फ एक जहरीला विश्वास ही नहीं
बल्कि यही है आंखों पर पड़ा वह पर्दा
जिसे वे प्यार समझती हैं, वे नहीं समझतीं कि वह
दिमाग की नसें सुन्न कर देने वाला एक वायरस है।
एक डिमांड पर उतार देती हैं
लाइव वीडियो पर हर इंच के कपड़े
नहीं कर पातीं मना उसकी इस मनुहार पर कि
“भरोसा नहीं है मुझ पर?”
झट कर देती हैं भरोसे की थाली में सब न्योछावर।
याद नहीं आता तब फ्रिज से बरामद किसी बॉडी का
कोई कटा हुआ टुकड़ा, कटा हुआ हाथ या उंगलियां
क्योंकि उसके पास होता है उसका स्पेशल मेरा वाला
वह “ना” सुनने का आदी नहीं होता
हाँ करवाने का हुनर जानता है।
ना के बदले कर देता है ब्लॉक, ब्रेकअप की धमकियां
विश्वास न करने की सजा देता है
तब भी नहीं याद आती इनको कोई श्रद्धा और
उसके पैंतीस टुकड़े बिना उसके सिर के।
इनके आंख मिलने से लेकर, बदन मिलने तक का सफर
होता है दुनिया का सबसे छोटा सफर
और इस छोटे से सफर को ही
मान लेते हैं जीवन का सबसे लंबा सफर
और इस सफर पर निकलने के लिए
सारी हदों से गुजर जाना भी होता है स्वीकार।
ये नहीं जानना चाहतीं कि ये सिर्फ गुजर जाएंगी
कई टुकड़ों में होकर तब्दील
और इस तब्दीली को पूरा करने में
इनका मेरा वाला तोड़ देगा सारी सीमाएं
इंसानियत और हैवानियत की।
तो सुनो लड़कियो!
यह जो तुम्हारा ‘मेरा वाला’ है न
जो नहीं सुन सकता “ना”
तो संभल जाओ
या हो जाओ तैयार
टुकड़ों में कटने, बंटने और जंगलों, नालों में फिंकने के लिए
ये करेंगे तुम्हारे उसी बदन के टुकड़े
जिसे एक ब्लॉक एक नाराजगी और
विश्वास न करने के ताने के डर से
लाइव वीडियो पर किसी कमरे पर पसरे बिस्तर पर
परोस देती हो स्वयं को, कभी प्यार के नाम पर
तो कभी मुहब्बत या भरोसे के नाम पर
निकल पड़ती हो घर बसाने के सपनों वादों के साथ
एक अंधेरी राह पर
अपने अपनों के उजालों में अंधेरा करके।
फिर यही तुम्हारा ‘मेरा वाला’
बन जाता है श्रद्धा वाला, साक्षी वाला।