मेल नर्स को मंत्री के सामने सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी, हुआ निलम्बित
जैसलमेर, 27 मार्च। जिले के सम ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) पूनम नगर में कार्यरत एक मेल नर्स को कलेक्टर ने इसलिए निलंबित कर दिया कि उसने मंत्री के सामने सच कहने का साहस कर दिया। ग्रामीण शुक्रवार को नर्स के निलंबन के विरोध में उतर आए। ग्रामीणों ने पीएचसी के ताला लगाकर प्रदर्शन किया। नर्स ने मंत्री और कलेक्टर के सामने टीकाकरण को लेकर यह कह दिया था कि मुस्लिम समाज के लोग टीकाकरण में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
ग्रामीणों के पीएचसी पर तालाबंदी की सूचना पर जैसलमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कमलेश चौधरी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा की। ग्रामीणों ने मंगलवार तक मेल नर्स को पुनः प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूनम नगर पर लगाने की मांग की है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के ग्रामीणों की मांग जिला कलेक्टर तक पहुंचाने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने अस्पताल के ताले खोले।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद और जिला कलेक्टर आशीष मोदी पूनम नगर पीएचसी का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीनेशन के बारे में पूछा। जवाब में मेल नर्स ने कहा कि यहां मुस्लिम समाज के लोग टीका लगवाने नहीं आते। ऐसा कहने पर जिला कलेक्टर ने मंत्री के सामने ही नर्स को फटकार लगा दी और निलंबित करने के निर्देश दे दिए और नर्स हाथ जोड़कर माफी मांगता रहा।लेकिन कलेक्टर ने कहा कि उपचार धर्म देखकर नहीं किया जाता। कर्मचारी के हटाने के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि वैक्सीनेशन के बारे में पूछने पर वह धार्मिक टिप्पणी कर रहा था, इसलिए उसे निलंबित किया है।
उधर कलेक्टर के मौखिक निर्देश के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कमलेश चौधरी ने गुरुवार रात को ही आदेश जारी कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पूनमनगर के नर्स-2 मोहन पटेल को तुरन्त प्रभाव से निलम्बित कर दिया था। आदेश में कहा गया है कि गुरुवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पूनमनगर में जिला कलेक्टर के समक्ष कोरोना टीकाकरण के संबंध में धर्म विशेष टिप्पणी करने पर इन्हें राज्य सेवा से निलम्बित किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केवल पूनम नगर और कुछला में ही कुछ हिंदू आबादी है। जबकि पीएचसी के क्षेत्र में आने वाले 14 गांवों में मुस्लिम जनसंख्या ही है। यदि तुलनात्मक आंकड़े देखें तो इन 14 गांवों के लोगों ने टीकाकरण में कोई रुचि नहीं दिखाई जबकि हिंदू आबादी में टीकाकरण का प्रतिशत 80 है। इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।