देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण की भांति प्रत्येक भारतीय पर सुभाष ऋण भी- प्रो. बीपी शर्मा
देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण की भांति प्रत्येक भारतीय पर सुभाष ऋण भी- प्रो. बीपी शर्मा
उदयपुर। सोमवार को सीटीएई सभागार में चल रहे मेवाड़ टॉक फेस्ट के सत्र “सुभाष के सपनों का पराक्रमी भारत” में प्रो. बीपी शर्मा व प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र ने अपने विचार साझा किये।
प्रो. बीपी शर्मा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मेवाड़ के अक्षुण्ण योगदान का स्मरण करते हुए अपना उद्बोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष के प्रभाव में ही ब्रिटिश-भारत सशस्त्र बलों के भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम छेड़ दिया था। इससे पूर्व 1928 में नेताजी ने ही सर्वप्रथम कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग रखी थी। अंग्रेजों को चुनौती देते हुए नेताजी ने अखंड भारत की स्वाधीन सरकार का गठन किया। आजाद हिंद फौज व सुभाष के पराक्रम के चलते अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण की भांति प्रत्येक भारतीय पर सुभाष ऋण भी है। सुभाष के सपनों के भारत की बात की जाए तो उसमें राष्ट्र को आर्थिक, सामरिक, तकनीकी व सामाजिक रूप से संबल बनना होगा।
आईआईएमसी की प्रो. संगीता प्रणवेंद्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेताजी सुभाष कुशल लेखक, पत्रकार एवं विवेचक थे। नेताजी की पत्रकारिता के प्रति रुचि एवं प्रेम भी दिखाई देता है। सुभाष छद्म नाम से फॉरवर्ड ब्लॉक में संपादकीय भी लिखते रहे। भारतीय युवाओं में स्वाधीनता की लौ प्रज्वलित करने में आजाद हिंद रेडियो की भी बड़ी भूमिका रही है। आजाद हिन्द रेडियो के विरुद्ध बीबीसी को ईस्टर्न सर्विस सेंटर शुरू करना पड़ा।
इससे पूर्व नेता जी के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया। इस सत्र का निर्देशन पत्रकार अंजली वर्मा ने किया। डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शन के बाद युवाओं ने समीक्षात्मक विचार रखे। युवाओं के विचार विशेष रूप से सुभाष की रहस्यमई मृत्यु के संबंध में थे। युवाओं ने अपने विचारों से विभिन्न भारतीय सरकारों की भूमिका पर भी प्रश्न खड़े किए।
तृतीय सत्र में भारत की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा : चुनौतियां एवं रणनीति पर परिचर्चा हुई। बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा पर अभिनव पंड्या व आर्थिक एवं सामरिक हितों पर प्रो. बीपी शर्मा ने मॉडरेटर संगीता प्रणवेंद्र के प्रश्नों के उत्तर दिये।
अभिनव पण्ड्या ने पाकिस्तान-चीन से मिल रही बाह्य चुनौतियों के साथ आंतरिक सुरक्षा को भी उतने ही महत्व का बताया। उन्होंने कहा कि डेमोग्राफिक बदलाव से आंतरिक खतरा बढ़ा है। दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़े शहरों की ओर पलायन हो रहा है, ऐसे में सीमा क्षेत्रों की पहचान में परेशानी हो सकती है। हमें आर्थिक, राजनैतिक एवं सैन्य क्षेत्रों में मजबूती करनी है।
फेस्ट में सैकड़ो युवाओं ने उत्साह से भाग लिया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के साथ युवाओं में सेल्फी लेने की उत्सुकता दिखाई दी। नेताजी सुभाष के जीवन पर आधारित पुस्तकों का स्टॉल लगाया गया, जहां युवाओं ने खूब रुचि दिखाई।
अंतिम सत्र में प्रतिभागी युवाओं ने “2030 का भारत” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस सत्र का निर्देशन प्रो. बीपी शर्मा ने किया। समापन पर देशभक्ति गीतों पर बैंड परफॉर्मेंस हुआ।
वरिष्ठ पत्रकार आनन्द नरसिम्हन मेवाड़ टॉक फेस्ट में भाग नहीं ले सके। विजिबिलिटी कम होने के कारण उनकी फ्लाइट उदयपुर में लैंड नहीं हो सकी।
फेस्ट में ऋतम एप, जनजातीय महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित क्राफ्ट, ऑर्गेनिक फूड एवं प्रोडक्ट्स और पुस्तक विक्रय के स्टॉल लगाये गये।