रसोड़े में कौन था… मनोरंजन या भोंडेपन का प्रस्तुतीकरण?

रसोड़े में कौन था... मनोरंजन या भोंडेपन का प्रस्तुतीकरण?

डॉ. भारती शर्मा

रसोड़े में कौन था... मनोरंजन या भोंडेपन का प्रस्तुतीकरण?

आजकल साथ निभाना साथिया सीरियल का रसोड़े में कौन था मीम सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। सुनकर, देखकर हंसी रुकती नहीं और यह सीरियल काफी लोकप्रिय भी हो रहा है। हमारे यहां दोपहर में अधिकांश महिलाओं द्वारा देखा जाने वाला सीरियल हो गया है यह। पर क्या हमने कभी इसके दूसरे पक्ष की तरफ सोचा है, कि मीडिया के माध्यम से आज किस तरह का मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है और यह हमारी मानसिकता पर किस प्रकार का असर छोड़ता है?

मुझे हैरानी होती है कि इस प्रकार के बहुत से सीरियल महिलाओं द्वारा ही प्रचारित व प्रसारित किए जाते हैं।जिनमें सिर्फ विकृत मानसिकता एवं कुचालों का भोंडापन प्रस्तुत किया जाता है। अब जबकि वर्तमान परिस्थितियों में बच्चे भी घर में ही रह कर अपनी पढ़ाई और अपना मनोरंजन करते हैं कहीं ना कहीं वे भी इस प्रकार के कार्यक्रमों से प्रभावित होते हैं।

थोड़े दिन पहले मेरे पड़ोस में रहने वाले एक 10 वर्षीय बच्चे ने कहा कि आज तो मुझे यह सीरियल जरूर देखना है। मैं यह देखना चाहता हूं कि गोपी बहू के मां-बाप असली हैं या नकली?यह कुछ साजिश तो नहीं? मैंने उससे पूछा कि कहीं ऐसा भी कभी होता है कि मां बाप भी असली नकली होते हैं? तो उसने तपाक से कहा साजिशें की जाती हैं महिलाओं द्वारा।मैंने उसे समझाते हुए कहा, क्या अपने घर में या अपने आसपास में तुमने ऐसी किसी महिला को देखा है तो वह निरुत्तर हो गया और अपने घर चला गया। पर जाते-जाते एक सवाल छोड़ गया कि जिस तरह से मीडिया महिलाओं की छवि को किसी दूसरी महिला के विरुद्ध साजिश करती हुई, कभी नागिन के रूप में, कभी एक दूसरे के हक को छीनने वाली दिखा कर प्रस्तुत कर रहा है, क्या इससे आने वाली पीढ़ी की मानसिकता पर प्रभाव नहीं पड़ता? एक तरफ तो हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी तरफ इस प्रकार के भद्दे मनोरंजन के द्वारा महिलाओं पर भद्दे जोक्स करके उनकी छवि को मलिन करने की कोशिश करते हैं।

मैंने उस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है कि रसोड़े में कौन था……?
रसोड़े में कौन था यह तो मैं नहीं जानती……….
पर हमारे जमाने में रसोड़े में महिलाओं की अद्भुत पहचान थी……..
इसी रसोड़े में मेरी मां प्यार से सबके लिए खाना बनाती है…..
इसी रसोड़े से स्वाद और सेहत की खुशबू आती है…….
इसी रसोड़े में नानी मां के नुस्खे बनाए जाते हैं….
इसी रसोड़े से आज क्या बनाऊं सबके लिए?.. यह सवाल पूछे जाते हैं!…
खाली कुकर यहां किसी ने नहीं चढ़ाया…..
यहां तो मेरी मां ने भर भर कर सबके लिए खाना बनाया……
बरसों से यह रसोड़ा घर भर के प्यार को सहेजने का काम करता है…..
ऐसे ही कई धर्मार्थ रसोड़े से कई लाचारों का पेट भरता है…..
देखो इस रसोड़े में साजिशें ना पलने दो…..
मनोरंजन तक ही ठीक है इसे हकीकत में ना ढलने दो।

Share on

1 thought on “रसोड़े में कौन था… मनोरंजन या भोंडेपन का प्रस्तुतीकरण?

  1. इतना सुन्दर और सार्थक विश्लेषण!!!वर्तमान समय में प्रसारित हो रहे कार्य क्रम सामाजिक चेतना के सूत्रधार हो सकते हैं। टीवी चैनलों को इस दिशा में सोचना चाहिए। इस रचनात्मक लेखन की बहुत बहुत बधाई और इस क्षेत्र में उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *