राजनीतिक सर्वे नहीं करता संघ, हिन्दू समाज को संगठित करना है इसका मुख्य लक्ष्य
राजनीतिक सर्वे नहीं करता संघ, हिन्दू समाज को संगठित करना है इसका मुख्य लक्ष्य
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सक्रिय रहकर हिन्दू समाज के जागरण, उसे संगठित व संस्कारित करने का काम करता है। इसके लिए संघ, शाखाओं व सेवा कार्यों के माध्यम से स्वयंसेवकों में जीवन मूल्यों को समझने व उन्हें बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है। कांग्रेस द्वारा अपनी स्थापना के 44 वर्ष बाद लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य रखने पर संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने इस प्रसंग पर शाखाओं में विशेष कार्यक्रम करवाए थे। कांग्रेस के देर से ही सही, पर ठीक मार्ग पर आने का अभिनन्दन किया था। संघ की इस सद्प्रवृति के परिणामस्वरुप देश की किसी भी आपदा में सेवाकार्य करने के लिए सबसे पहले संघ के स्वयंसेवक पहुंचते हैं।
संघ के स्वयंसेवक अभी असम में बाढ़ पीड़ितों के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य कर रहे हैं। संघ द्वारा सेवा बस्तियों में स्थाई रूप से सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के अनेक प्रकल्प चलाए जाते हैं।
अखिल भारतीय स्तर पर संघ की वर्ष में तीन बार बैठकें होती हैं। प्रतिवर्ष दीपावली के आसपास कार्यकारी मंडल की बैठक, संघ शिक्षा वर्ग के बाद प्रांत प्रचारक बैठक और मार्च में प्रतिनिधि सभा बैठक। शाखा में आने और संघ के बारे में जानकारी रखने वाले लोग इन सब बातों को भलीभांति समझते भी हैं।
संघ ने आज तक कभी भी, किसी भी प्रकार का चुनावी सर्वे नहीं किया है। संघ एक सांस्कृतिक संगठन है। वह सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण चेतना, ग्राम विकास व गो सेवा की गतिविधियों से समाज की सज्जन शक्ति को जोड़कर समाज के मानस में शनैः शनैः सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयास कर रहा है। संस्कृति, धर्म और राष्ट्र रक्षा के लिए समाज के जागरण का काम स्वयंसेवक करते आए हैं। राष्ट्र की एकात्मता प्रगाढ़ हो और राष्ट्रीयता के विचार समाज तक पहुंचें, इसके लिए संघ का सम्पर्क व प्रचार विभाग है।
वास्तव में संघ में या तो नित्य प्रति चलने वाले कार्यों की चर्चा होती है या फिर समाज की तात्कालिक स्थितियों पर। बैठकों में मुख्य रूप से पिछली समयावधि में हुए कार्यों की समीक्षा कर आगामी लक्ष्य तय किए जाते हैं। संघ की झुंझनूं में होने वाली अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की बैठक में संघ के प्रशिक्षण वर्गों के वृत्त प्रस्तुत किए जाएंगे, फिर उनकी समीक्षा होगी। आगामी वर्ष की कार्य योजना बनेगी, अधिकारियों की प्रवास योजनाओं के साथ ही संघ के शताब्दी वर्ष कार्य विस्तार योजना पर भी विचार विमर्श होगा।