राजस्थान में अंतिम संस्कार के लिए भी देनी पड़ रही है दलाली

राजस्थान में अंतिम संस्कार के लिए भी देनी पड़ रही है दलाली

राजस्थान में अंतिम संस्कार के लिए भी देनी पड़ रही है दलाली

महामारी अब तक के भीषणतम चरण में है। मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में इंजेक्शनों व ऑक्सीजन सिलिंडरों की जमाखोरी व कालाबाजारी भी बढ़ रही है। राजस्थान में इससे भी ऊपर अब कोविड मरीजों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए दलाली तक देनी पड़ रही है। अस्पताल से श्मशान तक ले जाने और अंतिम संस्कार तक सब कुछ दलालों के शिकंजे में है।

शिकायतें मिलने पर श्मशानों का औचक निरीक्षण किया गया। जहॉं हैरान कर देने वाली बातें सामने आईं, दलालों ने कोविड मृतकों के अंतिम संस्कार की रेटें तय कर रखी थीं। एम्बुलेंस से शव को उतारकर चिता पर रखने के बदले दलाल रुपए मांग रहे थे।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कुलदीप के अनुसार, शहर के सेक्टर-3 श्मशान में वह स्वयं कोरोना मृतक के परिजन बन पहुंचे। यहां नगर निगम के किसी कर्मचारी या चौकीदार के मौजूद होने के बजाय कुछ युवक थे, जिनसे बात करने पर राजेश गोराना नाम के युवक ने 15 हजार रुपए में अंतिम संस्कार करने की हामी भरी। राशि कम करने की बात पर उसने कहा कि कोरोना मृतक के अंतिम संस्कार का यही रेट है। अगर सामान्य शव होता तो 3 हजार रुपए में अंतिम संस्कार कर देता। यह रेट तो सिर्फ शव को एंबुलेंस से उतारकर चिता पर रखने का है, लकड़ियों व अन्य सामान का खर्च आपको अलग से देना होगा।

दलाली के ऐसे समाचार मीडिया में आने के बाद गहलोत सरकार की नींद खुली और अशोक नगर श्मशान घाट पर अधिकारियों ने 5 कर्मचारियों की नियुक्ति की तथा किसी व्यक्ति द्वारा रुपए माँगने पर प्रशासन को सूचना देने सम्बन्धी बोर्ड लगाए। उप महापौर ने इसकी निगरानी के लिए इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक टीम का गठन भी किया। दूसरी ओर दलालों का कहना है कि वे जान जोखिम में डाल ये सब कर रहे हैं, इसलिए इतने रुपए देने तो बनते हैं। 15 दिन में उदयपुर जिले में 200 से अधिक ऐसे अंतिम संस्कार हुए हैं। लकड़ी से लेकर अन्य सामान तक के लिए दलाली वसूली जाती है, जबकि नगर निगम ने मृत शरीर पहुँचाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कर रखी है।

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