राजस्थान में कोरोना के वाहक बने जमाती

 

 

 

 

राजस्थान में तब्लीगी मरकज से लौटे जमातियों ने सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण फैलाया है। यही कारण है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम ही कोरोना से संक्रमित हुए हैं। कांग्रेस नीत राज्य सरकार ने भी इस महामारी को भी सांप्रदायिक रंग दे दिया है। सरकार ने सबसे पहले तो तब्लीगी जमात और उनसे संक्रमित हुए लोगों का आंकड़ा देना बंद किया। इसके बाद मुस्लिम बहुल इलाकों में कर्फ्यू के दौरान शिथिलता बरती। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों का आवागमन पूरी तरह रुका नहीं और लोग जयपुर के रामगंज जैसे संक्रमित क्षेत्रों से अन्य इलाकों में पहुंचते रहे। यह क्रम अभी थमा नहीं है। चोरी- छिपे कुछ लोग पकड़ में भी आए हैं, लेकिन यह पुलिस की सजगता से नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में रहने वाले सजग पड़ोसियों की सूचना से।

पुलिस की उदासीनता का ही नतीजा है कि लोग कोरोना वॉरियर्स पर भी हमलावर हो रहे हैं। टीमों पर पत्थर फेंकना, हमले करना और उनके साथ दुर्व्यवहार जैसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। टोंक में भी शुक्रवार को मुस्लिम बहुल कर्फ्यू ग्रस्त कसाई पाड़ा मोहल्ले में लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इनमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। इन्हें राजकीय सआदात अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।

मुस्लिम बहुल इलाकों में ही कोरोना क्यों सबसे ज्यादा पनपा? इसके कई कारण हैं, इनमें प्रमुख है परिवार का रहन- सहन, मजहबी रूढ़िवाद, मुल्ला- मौलवियों की जिद और तब्लीगी जमाती। राजस्थान के लगभग एक दर्जन जिलों में तब्लीगी जमात के लोगों ने कोरोना फैलाया है।

राजस्थान में तब्लीगी जमात से पहले कोराना मरीजों की संख्या बढ़ने की गति बहुत धीमी थी। लेकिन ओमान से जयपुर के रामगंज में आये एक युवक और तब्लीगी जमात के सदस्यों ने राजस्थान में कोरोना का विस्फोट कर दिया। अब हालात बूते से बाहर होते जा रहे हैं।

चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 31 मार्च को 93 कोरोना मरीज थे। 1 अप्रैल को पहली बार टोंक में तब्लीगी जमात के लोग संक्रमित मिले। 7 अप्रैल तक प्रदेश में यह आंकड़ा 343 तक पहुंच गया। इसके अगले हफ्ते में करीब तीन गुना और बढ़कर 14 अप्रैल को कोरोना संक्रमितों की संख्या 1005 हो गई थी। इनमें बड़ी संख्या तब्लीगी जमात और उनके द्वारा संक्रमित लोगों की है। शुरूआत में चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट में तब्लीगी संख्या अलग से दर्शायी जा रही थी। लेकिन बाद में अल्पसंख्यक समुदाय की नाराजगी के डर से रिपोर्ट में से वह कॉलम हटवा दिया गया।

तुष्टिकरण की पराकाष्ठा इससे बड़ी क्या हो सकती है कि देश में सबसे पहले सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) लागू करने वाला राज्य और मख्यमंत्री अशोक गहलोत आज सूचनाएं छुपाने का पाप कर रहे हैं। कांग्रेस आरटीआई को अपनी बड़ी उपलब्धि बताने कांग्रेस आज अपनी प्रतिबद्धताएं भूल गई है।

तब्लीगी का कालम हटाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां कहते हैं- “सामान्य तौर पर कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है लेकिन अब यह समय वोट बैंक के लिए राजनीति करने का नहीं है। पहचान को जनता के सामने लाना चाहिए, जिससे जनता इस समूह के लोगों से दूर रहे। अगर सरकार को कोरोना के मरीज का पता किसी धर्म के आधार पर, किसी आयोजन के आधार पर चलता है तो इससे तो कोरोना की चेन तक पहुंचने में आसानी होगी।”

जयपुर, जोधपुर, कोटा, बांसवाड़ा, टोंक, भरतपुर, अलवर, झुंझुनू, जैसलमेर, बीकानेर समेत प्रदेश में करीब 40 कोरोना हॉटस्पॉट है। यह सभी स्थान मुस्लिम बहुल है। दुर्योग से राजस्थान में 90 प्रतिशत से अधिक कोरोना के मरीज मुस्लिम समुदाय के है।

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स ने आठ पेज की रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान में तब्लीगी जमात के लोगों के कारण हालात और बिगड़ गए हैं। दिल्ली मरकज से आए जमात के लोग प्रदेश में संक्रमण फैला रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। राजस्थान में हालात नियंत्रण में आ गए थे, लेकिन जमात के लोगों ने स्थिति को नियंत्रित नहीं होने दिया। कोरोना वायरस को फैलाने के लिए मुख्य रूप से तबलीगी समाज के लोग ही जिम्मेदार हैं। टास्क फोर्स ने प्रदेश में लॉकडाउन बढ़ाने की सिफारिश भी की थी।

डॉ. ईश्वर बैरागी

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