राजस्थान में गो तस्कर बेखौफ, लॉकडाउन में भी हो रही तस्करी
आशा अग्रवाल
देश में कोरोना महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन का दूसरा चरण इस रविवार को समाप्त हो जाएगा। लॉकडाउन के कारण सम्पूर्ण देश में जन-जीवन एक माह से भी अधिक समय से ठहर-सा गया है। लेकिन राजस्थान में इस विषम दौर में भी गोकशी एवं गो-तस्करी का खेल पहले की तरह ही जारी है। कहने को जिलों से लेकर राज्य की सीमाओं को सील हुए एक अरसा बीत गया है, परन्तु अपराधियों को गो-तस्करी व गोकशी के लिए एक से दूसरे स्थान पर आने-जाने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है। राज्य में सप्ताह-भर में हुई ऐसी घटनाओं का आंकड़ा देखकर क़ानून और शासकीय नियमों के पालन की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
मेवात में सर्वाधिक मामले
राज्य में गोकशी व गो-तस्करी के सर्वाधिक मामले अलवर-भरतपुर में स्थित मेवात क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इसका एक हिस्सा हरियाणा में भी पड़ता है। मेवात की आबादी मुस्लिम बहुल है। देश में हुई तुष्टीकरण की राजनीति और लचर शासकीय नीतियों और भ्रष्ट अधिकारी तन्त्र ने इस इलाके को अपराधों का केंद्र बना दिया है। हिन्दू उत्पीड़न और कानून तोड़ने के मामलों की दर यहाँ बहुत अधिक है। मेवात के केंद्र कामां का वास्तविक नाम कामवन है। त्रेतायुग में भगवान श्रीकृष्ण ने यहाँ अपने ग्वाल-सखाओं के साथ अनेक लीलाएं करते हुए गोचारण किया था। यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज यहाँ खुलेआम गोकशी और गो-तस्करी होती है। इस सप्ताह भी राज्य में गो-तस्करी तथा गोकशी सर्वाधिक मामले मेवात में ही सामने आए हैं।
14 गोवंश करवाया मुक्त : 21 अप्रैल, 2020 सोमवार को अलवर के लक्ष्मणगढ़ में गो-तस्करी की घटना सामने आई। यहाँ रोणपुर रोड की शीतल नाकाबंदी पर पुलिस ने एक वाहन को जब्त कर 14 गोवंश को मुक्त करवाया। पुलिस ने वाहन चालक आजाद पुत्र बहब्बल मेव को गिरफ्तार कर लिया, जबकि 3 अन्य गो-तस्कर भागने में सफल रहे।
फिर से एक और घटना : 26 अप्रैल को अलवर जिले में गो-तस्करी की एक और घटना सामने आई। जिले की एमआईए थाना पुलिस ने बांबोली-लालपुरी नाके पर एक कैंट्रा वाहन को पकड़ा। इसमें 13 गाय और 5 नंदी (सांड) को रस्सियों से बाँध कर बोरियों की तरह लादा गया था। इन 17 गोवंश को बांदीकुई से तस्करी करके हरियाणा की ओर ले जाया जा रहा था। पुलिस ने गो-तस्कर रहीश खान (26 वर्षीय) और रहमान खान (35 वर्षीय) को मौके पर गिरप्तार कर लिया।
गो-तस्करों के आगे बेबस राजस्थान पुलिस : 21 अप्रैल को भिवाड़ी (जिला-अलवर) तहसील के नयागांव में भी गो-तस्करी की एक और घटना घटी। गो-तस्करों का एक समूह इलाके की बेसहारा गायों को एक पिकअप में भरकर ले जा रहा था। जब यह पिकअप नयागांव नाके पर पहुंची तो पुलिस ने चेकिंग के लिए इसे रोका। किन्तु इस पर गो-तस्करों द्वारा पुलिस पर पथराव किया जाने लगा। आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस इस हमले का मुकाबला करने में नाकाम रही और गो-तस्कर वहां को गोवंश सहित भगा ले जाने में कामयाब रहे। इससे पहले 19 अप्रैल को भी भिवाड़ी के ही मंशा चौक क्षेत्र में 4 गायों की तस्करी हुई थी। इसे रोकने में भी पुलिस को असफलता ही हाथ लगी।
गोमांस बेचते दो गिरफ्तार : 27 अप्रैल को अलवर जिले के चौपानकी थाना पुलिस ने क्षेत्र में गोमांस बेचते हुए मुबारिक और जावेद को पकड़ा। ये दोनों अपराधी आपस में भाई हैं और हरियाणा के ताबडू थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। पुलिस ने इनसे 50 किलो गोमांस और एक चोरी की मोटरसाइकिल, जिसका चेसिस नम्बर घिस दिया गया था, को भी बरामद किया। अपराधियों ने पुलिस को बताया कि वे हरियाणा के मेवात क्षेत्र से 80 रुपए प्रतिकिग्रा की दर से गोमांस लाते हैं और उसे यहाँ घर-घर जाकर 120 रूपये प्रतिकिग्रा की दर पर बेचते हैं। पिछले 5 वर्षों से वे दोनों इस काम में लगे हुए हैं।
बाँसवाड़ा में गोकशी : मेवात के अलावा अन्य भागों में भी गायों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। 24 अप्रैल को तड़के बाँसवाड़ा जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर भूरीपाड़ा के जंगल की 200 फीट गहरी एक खाई में एक गोवंश की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। पुलिस ने मौके से गोवंश के अवशेष के साथ खून से भरी तगारी, शराब की बोतलें, छुरे आदि जब्त किए और दबिश देकर मुख्य आरोपी को पकड़ लिया। इस मामले से जुड़े एक दर्जन आरोपी घटनास्थल से भाग गए जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।
उपर्युक्त मामले लॉकडॉउन पर तो प्रश्नचिन्ह लगाते ही हैं, साथ ही प्रदेश की कमजोर क़ानून व्यवस्था और सरकार की नाकामी को भी उजागर करते हैं। हिन्दू समाज व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों ही स्तरों पर गोरक्षा के अनेक प्रयास कर रहा है। लॉकडाउन के कारण आहार के अभाव में गोवंश भूखा न रहे इस हेतु अलवर की संस्थाओं जोश ग्रुप व गौनन्दी संरक्षण समिति ने अभिनव पहल की है। उन्होंने पिछले 30 दिनों में 1 लाख किलो से अधिक सब्जियां और चारा बेसहारा गोवंश को खिलाया है। लेकिन गो-संरक्षण की दिशा में कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रयास सरकार के सकारात्मक सहयोग के अभाव में लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते हैं। राज्य में गोकशी और गो-तस्करी के मामलों की वास्तविक संख्या जानना अत्यंत कठिन है। ऊपर उन्हीं घटनाओं का जिक्र किया गया है जो किसी तरह मीडिया तक पहुंच सकी हैं। अधिकाँश घटनाओं को दबा दिया जाता है। यदि सरकार और प्रशासन चाहे तो इन घटनाओं को पूरी तरह रोका जा सकता है, किन्तु तुष्टीकरण और वोट-बैंक की राजनीति के चलते कुछ लोगों का यह पाश्विक खेल निरंतर जारी है।