राजस्थान में रोजेदार शिक्षकों को ड्यूटी में छूट
शिक्षा विभाग ने दिए रोजेदार शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाने के निर्देश
जयपुर, 15 मई। राजस्थान में सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण का खेल खेल रही है। उसकी ओर से संतुष्टीकरण की बजाय खुले आम मुस्लिम तुष्टीकरण किया जा रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा रमजान माह में रोजा रखने वाले शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाये जाने के सम्बंध में दिये गये निर्देश इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। मजहब के आधार पर राज्य कर्मचारियों को उनकी ड्यूटी से छूट देना सरकार की तुष्टीकरण नीति को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सरकार के शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है, जिसमें रमजान माह में रोजा रखने वाले शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाने के साफ साफ निर्देश दिये गए हैं। वैसे राजस्थान में यह पहला मौका होगा जब मजहब के आधार पर राज्य कर्मचारियों को ड्यूटी से छूट दी गई है।
मामला यह भी
वर्तमान में जब प्रदेश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है तब भी सरकार तुष्टीकरण का मोह छोड़ नहीं पा रही। प्रदेश में कोरोना संक्रमित जमातियों की पहचान छुपाना हो, चाहे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में प्राथमिकता से राहत सामग्री बांटना हो या कोरोना संक्रमित मुसलमानों को रोजों के दौरान क्वारंटाइन में फल, खजूर या अन्य सूखे मेवे देना हो या अब रमजान के बहाने मुस्लिम कर्मचारियों को ड्यूटी में छूट देना हो, इन सबके पीछे राज्य सरकार की तुष्टीकरण की नीति रही है।
सरकार की दोहरी नीति
पिछले दिनों नवरात्रि पर्व था। पर्व पर अनेक शिक्षकों ने भी व्रत-उपवास रखा था। लेकिन तब व्रत रखने वाले शिक्षकों की राजस्थान सरकार की ओर से बराबर ड्यूटी लगाई गई थी। जबकि तब भी सरकार को कुछ ऐसा ही करना चाहिए था जैसा अब रोजेदारों के प्रति किया जा रहा है।
नवरात्रि के दौरान कई कोरोना संक्रमित हिंदू भी क्वारंटाइन में थे, उन्हें भी उनके उपवास के अनुसार भोजन देना चाहिए था।
एक ही विभाग में एक ही प्रकार के कर्मचारियों पर दो नियम लगाना या एक ही संक्रमण से पीड़ित दो अलग अलग समुदाय के रोगियों से अलग अलग व्यवहार सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति को दर्शाता है। सरकार को सर्वधर्म समभाव से काम करना चाहिए।