नीट : केरल में महिला परीक्षार्थियों के इनरवियर तक उतरवा लिए और राजस्थान में हिजाब में परीक्षा
नीट : केरल में महिला परीक्षार्थियों के इनरवियर तक उतरवा लिए और राजस्थान में हिजाब में परीक्षा
राजनीति जो न करवाए सो अच्छा। पिछले दिनों पूरे भारत में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट आयोजित हुई। गाइडलाइंस भी समान थीं। फिर ऐसा क्या था कि केरल में तो परीक्षा में नकल रोकने के नाम पर महिला परीक्षार्थियों के इनरवियर तक उतरवा लिए गए, वहीं दूसरी ओर राजस्थान में मुस्लिम महिला परीक्षार्थियों ने बड़ी शान से हिजाब में परीक्षा दी।
केरल की वामपंथी सरकार का तो लगता है कि अब वह सेक्युलरिज्म से भी आगे सुपर सेक्युलरिज्म के स्तर पर पहुंच चुकी है। वह भूल गई है कि भारतीय संस्कृति क्या होती है या एक महिला का सम्मान क्या होता है। वहॉं का शासन प्रशासन इतना संवेदनहीन हो चुका है कि उसका शायद किसी महिला के आत्मसम्मान से कोई वास्ता ही नहीं रह गया। इसीलिए बिना इनरवियर के तीन घंटा परीक्षा हॉल में बैठने के लिए मजबूर करने के बाद, जाते समय उन्हें इनरवियर हाथ में थमा कर रवाना कर दिया गया। परीक्षा देकर लौटी एक छात्रा ने बताया कि, ‘3 घंटे तक पेपर देते समय हम घबराए हुए थे। हमारी मानसिक हालत अस्थिर थी। हमारे इनरवियर उतरवा लिए गए थे। हमारे पास दुपट्टा नहीं था और हम लड़कों के साथ बैठकर परीक्षा दे रहे थे। हमें अपने बालों से खुद को ढंकना पड़ा। यह सब बहुत बुरा एक्सपीरिएंस था।‘
अब इससे शर्मनाक क्या हो सकता है किसी सरकार के लिए, जब सरकारी अमला ही ऐसे दुष्कृत्य के लिए जिम्मेदार हो?
राष्ट्रीय स्तर पर जब मामले ने तूल पकड़ा और धरने–प्रदर्शन शुरू हो गये, तब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को जांच के आदेश देने पड़े। और पता चला कि जांच कर रहे लोगों को कथित तौर पर छात्राओं के अंडरगार्मेंट्स में लगे मेटल के हुक से आपत्ति थी।
समझने वाली बात यह है कि जब परीक्षा को लेकर गाइडलाइंस दी गई थीं, जिनमें इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं था तो ऐसा कृत्य करने की कहां आवश्यकता थी?
वहीं दूसरी ओर हमारा राजस्थान है, जो हाल के दिनों में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का पर्याय बना हुआ है। पूरे प्रदेश में अशांति और अराजकता का वातावरण है। लेकिन सरकार मुसलमानों को खुश करने का कोई अवसर नहीं छोड़ती। नीट के दौरान भी कुछ मुस्लिम छात्राएं शान से हिजाब पहनकर परीक्षा देने पहुंचीं। शासन ने उन्हें अनुमति भी दे, दी। यह मामला कोटा का है। शहर के दादाबाड़ी क्षेत्र में स्थित मोदी कॉलेज सेंटर पर 4 मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब में परीक्षा दी। परीक्षा गाइडलाइंस के विपरीत प्रशासन द्वारा निर्णय लेकर मात्र खानापूर्ति कर अंडरटेकिंग लेकर छात्राओं को अनुमति दे दी गई। जबकि इसी राजस्थान में पहले आयोजित परीक्षाओं में हिन्दू महिलाओं के मंगलसूत्र और बिछिए तक उतरवा लिए गए।
जब भारत में नियम और कानून सबके लिए समान हैं तो मुस्लिम छात्राओं को इस प्रकार की छूट क्यों दी गई, जबकि यह उनकी मजहबी बाध्यता नहीं है या केरल में महिला परीक्षार्थियों को अपमानित क्यों किया गया?