राजस्थान : मेवात की समस्या मालपुरा पहुंची, गम्भीर हैं संकेत

राजस्थान : मेवात की समस्या मालपुरा पहुंची, गम्भीर हैं संकेत

राजस्थान : मेवात की समस्या मालपुरा पहुंची, गम्भीर हैं संकेत

राजस्थान के टोंक जिले का मालपुरा कस्बा इन दिनों चर्चा में है। यहां के लोग ‘सम्पत्ति जिहाद’ से पीड़ित हैं और लगभग 500 घरों के बाहर लगे पोस्टर बता रहे हैं कि यहां रहने वाला हिन्दू समाज पलायन को मजबूर है। यह मामला अभी सिर्फ चर्चा में है। सुर्खियों में इसलिए नहीं है कि यह हिन्दू समाज का मामला है। इसी तरह का पोस्टर यदि मुस्लिम समाज के किसी एक व्यक्ति के भी घर के बाहर लग जाता तो यह सुर्खियों में आ जाता। बहरहाल मालपुरा का हिन्दू समाज अब उसी समस्या से पीड़ित दिख रहा है जिस समस्या से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बिल्कुल सटते हुए नूंह मेवात के इलाके के हिन्दू पीड़ित हैं। इस समस्या के संकेत समझने बेहद आवश्यक हैं और इस पर समय रहते उचित कदम उठाने की भी आवश्यकता है।

राजस्थान के पूर्वी हिस्से अलवर, भरतपुर जिलों के कुछ क्षेत्रों समेत इनसे सटे हरियाणा के नूंह मेवात क्षेत्र में पिछले कुछ समय में इस तरह के हालात बने हैं कि यहां से हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका बताती है कि क्षेत्र के 431 गांवों में से 103 गांवों में एक भी हिन्दू नहीं बचा है। 82 गांव ऐसे हैं जिनमें सिर्फ 4-5 हिन्दू परिवार हैं। 2011 में 20 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या थी जो घट कर 10-11 प्रतिशत ही रह गई है योजनाबद्ध तरीके से हिन्दुओं को परेशान किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर हिन्दू लड़कियों को दबाव देकर अंतर्धार्मिक विवाह के लिए मजबूर किया जा रहा है।

याचिका में यह मांग भी की गई थी कि कोर्ट पिछले 10 साल में हिन्दुओं की तरफ से मुसलमानों को बेची गई संपत्ति का हर सौदा अमान्य करार दे। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया था कि क्षेत्र में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय हिन्दुओं के बुनियादी अधिकारों का हनन कर रहा है। पुलिस सभी मामलों में निष्क्रिय बनी रहती है।  सुप्रीम कोर्ट लोगों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए मामले में दखल दे।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे समाचार पत्रों में छपी खबरों पर आधारित बताते हुए सुनवाई करने से इन्कार कर दिया, लेकिन उस इलाके के हालात वास्तव में चिंताजनक हैं और यह बात वहां से समय-समय पर आने वाली खबरों से साबित होती रहती है।

टोंक जिले के मालपुरा के लोग भी कुछ ऐसी ही मांग सरकार से कर रहे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि 1950 से लेकर अब तक मालपुरा कस्बा अति संवेदनशील रहा है। यहां आरएसी की चौकियां बनी हुई हैं। साम्प्रदायिक तनाव हमेशा बना रहता है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 600 से 800 परिवार पलायन कर चुके हैं। हाल में यहां के बहुसंख्यक समाज के मोहल्ले में एक मुस्लिम परिवार ने मकान खरीदा है और अब इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि इस क्षेत्र के अन्य मकान भी इसी तरह बिक जाएंगे और यहां के लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

इस तरह होता है सम्पत्ति जिहाद
यहां इस मामले की लड़ाई लड़ रहे वकील कृष्ण्कांत जैन कहते हैं कि यह एक तरह का सम्पत्ति जिहाद है। बहुसंख्यक समाज के किसी परिवार को पैसे की जरूरत होती है तो उससे अल्पसंख्यक समाज के लोग मुंह मांगे दामों पर उसका मकान खरीद लेते हैं और अल्पसंख्यक समाज का रहन-सहन व खान-पान ऐसा है कि आस-पास रहने वालों को मुश्किलें होने लगती हैं और अंतत: पलायन करना पड़ता है। उनके मकानों की दरें अपने-आप ही कम हो जाती हैं। बाद में अल्पसंख्यक समाज के लोग ही इन मकानों को औने-पौने दामों पर खरीद कर क्षेत्र पर कब्जा जमा लेते हैं।

अभी जहां यह सब हुआ है वहां गुर्जर समाज, स्वर्णकार समाज सहित जैन समाज के कई धार्मिक मंदिर और स्थान हैं। इस पूरे मामले में अजीब स्थिति यह है कि हाल में जब यहां के लोगों ने ऐसे सम्पत्ति बेचान पर रोक लगाने की मांग की और अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, घरों के बाहर पोस्टर लगाए, कस्बे में विरोध मार्च निकाला व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपा तो इन्हीं लोेगों के विरुद्ध केस दर्ज कर दिए गए। पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ कोविड गाइडलाइन के उल्लंघन की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी शुरू कर दी और 8 लोगों को पाबंद करवाने को लेकर कोर्ट में इस्तगासा पेश किया है।

उल्लेखनीय है कि यह वह़ी मालपुरा कस्बा है जहां कांवड़ियों पर हमले हो चुके हैं। यहां आईएसआईएस (ISIS) के समर्थन में नारेबाजी हो चुकी है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक मालपुरा में 8 बार साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। लगभग 50 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ा साम्प्रदायिक झगड़ा साल, 1992 में हुआ था। उस समय 25 लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद साल 2000 में 13 लोगों की मौत हुई थी।

लेकिन पुलिस ने इससे सबक लेकर मामले की गम्भीरता को समझने की बजाय हिन्दुओं के डर को शहर के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली कार्रवाई बता दिया और बहुसंख्यक समुदाय के लोगों को अपने घरों से पोस्टर हटाने की चेतावनी दी है।

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