राम मंदिर पर ओछी राजनीति, दुष्प्रचार एक सुनियोजित षड्यंत्र
राम मंदिर हमेशा से कांग्रेसियों और वामपंथियों की आंखों की किरकिरी रहा है। पहले राम को काल्पनिक बताना, फिर राम मंदिर जन्मभूमि पर निर्णय को लटकवाना, कार सेवकों पर अत्याचार और अब शताब्दियों लम्बे संघर्ष के बाद बन रहे मंदिर के आस पास विकास के लिए जमीन खरीद मामले में ट्रस्ट पर घोटालों के आरोप इन लोगों की कुंठित मानसिकता को दर्शाते हैं। बिना तिल के ताड़ बनाना, अफवाहें फैलाकर हिन्दू समाज को भड़काना और तोड़ने के प्रयास करना इनकी ओछी राजनीति का हिस्सा है।
कल पूरे दिन छाए रहे इस मुद्दे पर विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण पूरी तरह से विश्वसनीयता और पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। इस दैवीय अभियान को दूषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा लगता है कि निजी लाभ के लिए लोगों को भ्रमित करने का यह अभियान शुरू किया गया है।
पूरे घटना क्रम को स्पष्ट करते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से एक वक्तव्य भी जारी किया गया। जिसमें कहा गया है कि उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने वर्षाें पूर्व जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबन्ध किया था, उस भूमि का उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया, तत्पश्चात् ट्रस्ट के साथ अनुबन्ध किया।
वक्तव्य में बताया गया है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के परकोटे और रिटेनिंग दीवार को वास्तु के अनुसार सुधारने, मंदिर परिसर की पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रियों के आवागमन मार्ग को सुलभ बनाने, खुला मैदान रखने तथा साथ ही साथ मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए पास-पड़ोस की जमीन खरीदी जा रही है।
क्रय और विक्रय का यह कार्य आपस के संवाद और परस्पर पूर्ण सहमति के आधार पर किया जा रहा है। सहमति के पश्चात् सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होते हैं।
सभी प्रकार की कोर्ट फीस व स्टैम्प पेपर की खरीददारी ऑनलाइन की जा रही है, सहमति पत्र के आधार पर भूमि की खरीददारी हो रही है। उसी के अनुसार सम्पूर्ण मूल्य विक्रेता के खाते में ऑनलाइन स्थानान्तरित किया जाता है।
9 नवम्बर, 2019 को श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के पश्चात् अयोध्या में भूमि खरीदने के लिए देश के असंख्य लोग आने लगे, उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए बड़ी मात्रा में भूमि खरीद रही है, इस कारण अयोध्या में एकाएक जमीनों के दाम बढ़ गये।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी भूमि क्रय की है वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदी है।
चंपत राय ने ट्विटर के माध्यम से भी लोगों को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। उन्होंने कई ट्वीट किए और बताया कि पुनर्वास हेतु भूमि का चयन सम्बन्धित संस्थानों/व्यक्तियों की सहमति से किया जा रहा है। बाग बिजेसी, अयोध्या स्थित 1.20 हेक्टेयर भूमि इसी प्रक्रिया के अन्तर्गत महत्वपूर्ण मन्दिरों जैसे कौशल्या सदन आदि की सहमति से पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रय की गई है। यह वही भूमि है जिस पर विवाद पैदा किया गया है। यह जमीन अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप प्राइम लोकेशन पर है। इस भूमि के सम्बन्ध में वर्ष 2011 से वर्तमान विक्रेताओं के पक्ष में भिन्न-भिन्न समय (2011, 2017 व 2019) में अनुबन्ध सम्पादित हुआ।
खोजबीन करने पर भूखण्ड ट्रस्ट के उपयोग हेतु अनुकूल पाए जाने पर सम्बन्धित व्यक्तियों से सम्पर्क किया गया। भूमि का जो मूल्य माँगा गया, उसकी तुलना वर्तमान बाजार मूल्य से की। अन्तिम देय राशि लगभग 1,423/-रूपए प्रति वर्गफीट तय हुई जो निकट के क्षेत्र के वर्तमान बाजार मूल्य से बहुत कम है। उन्होंने यह भी बताया कि मूल्य पर सहमति हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित व्यक्तियों को अपने पूर्व के अनुबन्धों को पूर्ण करना आवश्यक था, तभी सम्बन्धित भूमि तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो सकती थी और तीर्थ क्षेत्र के साथ अनुबन्ध करने वाले व्यक्तियों के पक्ष में भूमि का बैनामा होते ही तीर्थ क्षेत्र ने अपने पक्ष में पूर्ण तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ अनुबन्ध हस्ताक्षरित किया व पंजीकृत कराया।
आरोप की भाषा में वक्तव्य देने वाले व्यक्तियों ने आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं की, इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें।