राम राष्ट्र के प्राण हैं

राम राष्ट्र के प्राण हैं

वीरमाराम पटेल

राम राष्ट्र के प्राण हैं

राष्ट्र के लिए उतने ही राम हैं

जितने शरीर के लिए प्राण हैं।

राम ही जप हैं, राम ही तप हैं।

राम ही आन हैं, राम ही राष्ट्र के प्राण हैं।

राम राष्ट्र-कर्म हैं, राम राष्ट्र-मर्म हैं।

राम संस्कृति हैं, राम राष्ट्र-धर्म हैं।

राम से दशरथ पिता हैं, राम से ही माता सीता हैं।

बिन राम सब रीता है, राम ही जगत नियंता हैं।

कल का दिन अलौकिक था, मिटा एक कलंक था।

सजा था साकेत धाम, भव्य मंदिर को सदा प्रणाम।

धन्य हुई है अब मां भारती, निज वैभव की नित पुकार थी।

आरूढ़ होगी विश्व सिहांसन पर, धो चरण जगत करेगा आरती।

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1 thought on “राम राष्ट्र के प्राण हैं

  1. बहुत धन्यवाद पाथेय कण परिवार को।

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