राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संघ प्रारंभ हुआ- नरेंद्र ठाकुर

राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संघ प्रारंभ हुआ- नरेंद्र ठाकुर

राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संघ प्रारंभ हुआ- नरेंद्र ठाकुरराष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संघ प्रारंभ हुआ- नरेंद्र ठाकुर

गांधी धाम, 13 दिसम्बर। कच्छ के गांधी धाम शहर में पत्रकारों व साहित्यकारों के साथ गोष्ठी करते हुए संघ के सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिए संघ प्रारंभ हुआ। दुनिया आगे बढ़ गई, लेकिन संघ ने व्यक्ति निर्माण का कार्य नहीं छोड़ा। यही कारण है कि आज संघ के स्वयंसेवक समाज जीवन के 40 से अधिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। संघ के चिंतन में सदैव राष्ट्र व समाज ही प्रमुख होते हैं। आजकल विमर्श का बोलबाला है। प्रत्यक्ष युद्ध के बजाय नैरेटिव्ज से लड़ाई लड़ी जा रही है। जैसे केन्द्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लाई, जिसके अंतर्गत प्रावधान था कि इस्लामिक देशों- बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसियों व ईसाइयों को नागरिकता दी जाएगी। लेकिन नैरेटिव यह चला कि भारत के मुसलमानों की नागरिकता खतरे में है। कोरोना के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे दफनाई लाशों को लेकर भी दुनिया भर में बातें चलीं। इसी तरह भारत के इतिहास को विकृत करने के प्रयास भी लगातार होते रहते हैं। ताजा उदाहरण राहुल गांधी का म.प्र. में दिया गया वह बयान है कि टांट्या मामा की हत्या संघ ने की, जबकि सत्य यह है कि संघ प्रारंभ ही 1925 में हुआ था। टांट्या मामा का देहांत उसके कई साल पहले हो गया था।झारखंड और छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में सरना धर्म की बात चली और जनगणना में ये बातें सामने आईं। यह विमर्श 10-12 साल से गढ़ा जा रहा था। लगातार भारत की छवि बिगाड़ने के प्रयास हो रहे हैं। आप सब पत्रकार यहां उपस्थित हैं, पत्रकार का कर्तव्य है कि वह जनता के सामने मामले की  सही छवि प्रस्तुत करे।

यह अमृतकाल का प्रारंभ है, जो आने वाले 25 वर्ष चलेगा। गत एक वर्ष में अच्छा कार्य हुआ है। सत्य बाहर आया है। इसी तरह सकारात्मक ढंग से अनसंग हीरोज और ऐसे आंदोलन जिन्होंने देश की दिशा बदल दी, लेकिन लोग उनके बारे में नहीं जानते- पर भी लिखा जाना चाहिए। संघ ने यह प्रयास किया है। इसमें आपके भी सहयोग की अपेक्षा है। उभरते लेखकों से मेरा कहना है कि यदि आपकी कृतियों को बड़े समूह में स्थान ना मिले तो छोटे छोटे समूहों में भी अपनी बात रखनी चाहिए।

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