रुक्टा ने आयोजित की ‘स्वाधीनता का अमृत महोत्सव’ विषय पर व्याख्यानमाला
रुक्टा ने आयोजित की ‘स्वाधीनता का अमृत महोत्सव’ विषय पर व्याख्यानमाला
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की देशव्यापी योजनानुसार राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रुक्टा) द्वारा 15 दिसंबर को ‘स्वाधीनता का अमृत महोत्सव: इंडिया से भारत की ओर’ विषय पर एक दिन में प्रदेशभर में इकाई स्तर पर 151 कार्यक्रम आयोजित किए गए।
संगठन के महामन्त्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने बताया कि इन व्याख्यानों का ध्येय उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण का वातावरण बनाना है। युवा विद्यार्थी स्वातन्त्र्य समर में स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले महान हुतात्मा पूर्वजों के त्याग, समर्पण और शौर्य से प्रेरणा ले कर एक नये और भव्य भारत निर्माण के लिए कृत संकल्प हो सकें। प्रदेशभर के महाविद्यालयों में आयोजित इन व्याख्यानों से शिक्षकों तथा विद्यार्थी वर्ग में यह चिंतन और मनन करने का अवसर प्राप्त हुआ है कि स्वाधीनता आंदोलन केवल भौगोलिक स्वाधीनता और राजनैतिक सत्ता हस्तान्तरण के लिए नहीं, अपितु भारत की सनातन पहचान को बचाए रखने के लिए था। ऐतिहासिक गौरव और प्रेरणा से भरा भारतीय इतिहास अपनी उदात्त संस्कृति, धर्म, आध्यात्म, साहित्य, विज्ञान, कौशल, शाश्वत जीवन मूल्य, सर्वपन्थ समभाव, प्राणी मात्र के प्रति सद्भाव जैसे गुणों के कारण सनातन कहा जाता है। इसी सनातन भारतवर्ष का स्मरण नयी पीढ़ी को कराना ‘स्वाधीनता के अमृत महोत्सव’ का व्यापक उद्देश्य है।
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के प्रदेश संयोजक संगठन मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि रुक्टा (राष्ट्रीय) द्वारा सितंबर माह से प्रारंभ “स्वाधीनता का अमृत महोत्सव” के अन्तर्गत व्याख्यानों की शृंखला का 15 दिसम्बर को पूरे प्रदेश में समारोप उत्सव सम्पन्न हुआ। अभियानपूर्वक पूरे प्रदेश में एक साथ समारोप कार्यक्रम के अंतर्गत 151 व्याख्यान आयोजित किए गए। महासंघ द्वारा राजस्थान प्रदेश संगठन को इस विषय पर 300 व्याख्यान आयोजित करने का लक्ष्य दिया गया था, किंतु संगठन की प्रदेशभर की इकाइयों ने 477 व्याख्यान एवं अनेक राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों का आयोजन कर एक कीर्तिमान बनाया। डॉ. शेखावत ने कहा कि युवा पीढ़ी के बीच ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते हुए हमें भारत के विरुद्ध फैलाए गये दुष्चक्र के ‘हीनताबोध’ से मुक्त हो कर गौरवमय अतीत को जानने और स्थापित करने का प्रयत्न करना होगा, जो भारतीय संस्कृति, शिक्षा, जीवन दर्शन, परम्परा, ज्ञान विज्ञान, कला और कौशल के प्रति अनुराग से ही संभव है।
रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि “इण्डिया से भारत की ओर” विषय पर आयोजित व्याख्यानों की इस वृहद शृंखला के माध्यम से प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में यह विचार मन्थन हुआ कि भारत के ‘स्वत्व’ की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय और आंचलिक स्तरों पर हमारे हुतात्मा महापुरुषों ने जो योगदान किया, दुर्योग से उसे स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद पर्याप्त पहचान नहीं मिली। इन व्याख़्यानों में अनेक भूले बिसरे राष्ट्र नायकों, संत-विचारकों, देश के विभिन्न भागों में, विशेष कर जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक सुधार और भारतीयता से ओतप्रोत शिक्षा, संस्कृति और समरसता की अलख जगाने वाले लोक नायकों और समाज सुधारकों के अवदान से प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया।
समारोप उत्सव के अवसर पर महासंघ के अतिरिक्त राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता एवं प्रदेशाध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा, महामंत्री डॉ. सुशील बिस्सू सहित इस व्याख्यान शृंखला के प्रदेश संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह ने प्रदेश भर की रुक्टा (राष्ट्रीय) इकाइयों एवं सभी कार्यकर्ताओं को इस राष्ट्रीय चेतनाधर्मी आयोजन की सफलता के लिए बधाई देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।