रुदालियों का क्रंदन
वेद माथुर
भारत में विगत 16 महीनों में कोरोना से 2,83,270 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसी अवधि में अमेरिका में यह संख्या 6,00535 है।भारत की जनसँख्या लगभग 140-145 करोड़ है और अमेरिका की जनसँख्या 33 करोड़ मात्र है। अमेरिका में अब तक कुल 3 करोड़ 37 लाख 47 हजार 638 लोग कोविड पॉजिटिव आए हैं जबकि भारत में 2 करोड़ 54 लाख 93 हजार 953 लोग कोरोना संक्रमित हैं। यह स्थिति अमेरिका की है जिसे पूरी दुनिया में सम्पूर्ण विकास सम्बंधी मानकों पर आदर्श देश माना जाता है।
भारत में कुल जनसंख्या में से लगभग दो प्रतिशत लोग ही कोरोना से ग्रसित हुये हैं। विश्व के अन्य देशों की तुलना में हम अभी तक सुरक्षित हैं…ऐसा अपनी प्रतिरोधक क्षमता के कारण है या लॉकडाउन की वजह से…यह रिसर्च का विषय है।
टीके लगभग 20 करोड़ लोगों के लग चुके हैं और अब आयुष 64 दवाई के साथ डीआरडीओ ने पीने की दवाई भी बना ली है। कोरोना से जाने वालों में 75 प्रतिशत लोग 45 पार वाले हैं, उनमें से भी 80 प्रतिशत 60 पार वाले हैं…उनमें से भी 85 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित रहे हैं। भारत में रिकवरी रेट 86.21 प्रतिशत है।
ये तो कुछ तथ्य हैं। हां, आप टूलकिट, कम्युनिस्ट ट्वीटर या आन्दोलनजीवियों के कमेंट्स, पोस्ट, लेख पढ़ना चाहें तो पढ़ते रहें…और कोसते रहें कि भारत में तो सब मर गये….व गंगा नदी में शव तैर रहे हैं जबकि गंगा नदी में सैकड़ों शव बिना कोरोना के भी तैरते थे। या फ़िर उस पर्मानेंट वाले रुदन- मोदी हटाओ देश बचाओ…को अपने मनमाफिक नजरिए से भले देखें, सच्चाई तो यही है। दिन रात रुदन, क्रंदन करने वाली इन रुदालियों को भी पता है कि इनके रोने धोने से इनके चेहरे पर बैठी कोई मक्खी तक तो हटती नहीं, माहौल भले कितना ही खराब कर लें।
विपरीत परिस्तिथियों में ऐसे विलाप करना बेहद शर्मनाक है।
रुदन करने एवं नकारात्मक वातावरण बनाने वाले लेफ़्ट लिबरल , भांड मीडिया , बोलीवूड़ , अवार्ड वापसी गैंग की बातों में नहीं आना हैं । उन्होंने देश की छवि ख़राब की हैं ।
आइए हम सभी भारतवासी एक स्वर से शंखनाद करें कि कोरोना हारेगा देश जीतेगा