लव जिहाद और मतांतरण के विरुद्ध बने कठोर कानून : विहिप
जयपुर, 10 नवम्बर। देश में बढ़ रही लव जिहाद और मतान्तरण की घटनाओं को लेकर विश्व हिंदू परिषद चिंता जताई है। विहिप ने लव जिहाद और मतान्तरण के खिलाफ देश में कठोर कानून बनाए जाने की मांग दोहराई तथा समाज में शैक्षिक व आर्थिक स्तर उन्नत बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरूआत की है।
सोमवार को जयपुर प्रवास पर आए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि लव जिहाद का मुद्दा गंभीर हो गया है। पिछले दिनों हरियाणा के बल्लभगढ़ में एक छात्रा के अपहरण का प्रयास किया गया और विरोध करने पर गोली मार दी गई। अब तक झूठ बोलकर व धमकी देकर लव जिहाद की घटनाएं होती आई हैं, लेकिन अब मारने भी लगे हैं। घटनाएं सामने आते ही विहिप ने सरकार से बात की और सड़क पर भी प्रदर्शन किया। हरियाणा के प्रत्येक जिले में प्रदर्शन किए गए। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने लालच देकर मतान्तरण और लव जिहाद के विरुद्ध मजबूत कानून बनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हमें समाज में आर्थिक व शैक्षिक स्तर को उन्नत बनाने के लिए मसीहा बनकर नहीं मित्र व सहयोगी बनकर जाना है।
प्रांत संयोजक मोहनलाल ने बताया कि कोरोना-काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे समाज को सहयोग करने की दृष्टि से भारत-भर में विश्व हिंदू परिषद ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने इसके अंतर्गत जयपुर महानगर स्थित सेवा बस्तियों में हो रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी और बताया कि विश्व हिंदू परिषद ने 44 प्रांतों में अभियान के माध्यम से युवाओं को केंद्र सरकार की योजना में ऋण उपलब्ध कराया है।
पटाखों पर बैन के बजाय बीच का रास्ता आवश्यक
विश्व हिंदू परिषद ने राजस्थान सहित कुछ राज्यों में पटाखों पर रोक लगाने को उचित नहीं ठहराया। कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आतिशबाजी और पटाखे दीपावली पर परम्परागत तरीके हैं। ऐसे में सरकारों को पटाखों पर बैन लगाने के बजाय बीच का रास्ता निकालना चाहिए था। मैं मानता हूं कि पर्यावरण की स्थिति गंभीर है और उसके साथ समझौता नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता निकाला है, उसने कुछ दिन और कुछ समय तय किया था। कौन कौन से पटाखे चल सकते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। हरियाणा सरकार ने भी पटाखे चलाए जाने के लिए रात आठ से दस बजे तक का समय और त्यौहार तय कर दिए हैं। ऐसे में राजस्थान सहित अन्य राज्यों को भी सम्पूर्ण बैन के बजाय बीच का रास्ता निकालना चाहिए।