लव जेहाद से गोली तक

लव जेहाद से गोली तक

वीरमाराम पटेल

लव जेहाद से गोली तक

शक्ति का आराधना पर्व समाप्त होते होते देश को झकझोर देने वाली घटना हमारे सामने आई। आज देश में प्रेम के नाम पर प्रेम जेहाद का नंगा खेल चरम पर है। जहाँ प्रेम समर्पण की पराकाष्ठा का प्रतीक था, वहीं आज वासना, हवसीपन, कामुकता का पर्याय बन गया है। प्रेम में एकनिष्ठ प्रेम का विधान है। एकनिष्ठ प्रेम एक दूसरे के बीच किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं कर सकता। तो क्या इसका परिणाम गोली मार देना हो जाएगा? यह प्रेम नहीं प्रेम जाल है जो किसी मकड़ी के जालों सा उलझा हुआ है, जिसका रास्ता जेहाद की तरफ जाता है। ऐसे जिहाद में मारो, काटो, भगाओ सब जायज है। ऐसे प्यार को मीडिया जगत एक तरफा प्यार कहकर जघन्य अपराध को बढ़ावा देने का षड्यंत्र गुप्त रूप से कर रहा है। जिस देश में गोली क्या, वासना की नजर से देखने पर सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था। उसी देश में आज महिलाएँ हवस का शिकार हो रही हैं। उसका एक मात्र कारण हमारे संस्कारों में कमी, बॉलीवुड द्वारा परोसी गई कामुकता, प्यार के बहाने पाप का षड्यंत्र, मैकाले की शिक्षा पद्धति, वामपंथी साहित्य, टीवी सीरियल, मनोरंजन के नाम पर नग्न प्रदर्शन है। लव जेहाद मुगल काल से प्रचलित है लेकिन तब किरण जैसी वीरांगना ने उसका प्रतिकार किया और अकबर की छाती पर कटार लेकर बैठ गई। आज भी आवश्यकता उसी की है।

भारत में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी जाती है, प्रेम में कोई धर्म- जाति नहीं होती तो फिर गुजरात के राहुल की हत्या क्यों हुई? मुस्लिम लड़की से प्यार करना गुनाह क्यों है? धर्म निरपेक्षता की आड़ में ऐसे कृत्यों को बढ़ावा देने वाले कौन हैं? हाथरस के षड्यंत्र में कांग्रेस और वामपंथी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर जनजाति समाज का मसीहा बनने की कोशिश कर रहे थे। राहुल और निकिता के केस में उनकी धर्मनिरपेक्षता कहॉं चली गई? क्या वे भारत के नागरिक नहीं थे? भारत की बेटियाँ कब तक ऐसे लव जेहाद का शिकार होती रहेंगी।

लड़कियों को प्रेम में फंसाने के बाद जेहादी तत्व अपनी हर बात मनवाने पर उतारू हो जाते हैं। उन्हें लगता है या तो उन्हें स्वीकार कर लो या फिर गोली खाओ। निकाह के बाद भी यदि उनकी बात नहीं मानोगी तो सूटकेस में बंद करके फेंक दी जाओगी। ऐसे जेहादी तत्वों को सजा होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके परिवारों को  इस्लामिक संगठन आर्थिक संबल देते हैं। भारत की गौरवमयी प्रेमनिष्ठ संस्कृति में प्रेम की आड़ लेकर एकतरफा प्यार का जेहादी मॉडल निकिता हत्या कांड है। एक तरफा प्यार की परिकल्पना भारतीय समाज पर थोपकर लव जेहाद जैसे अपराध को हल्का करने का कुत्सित षड्यंत्र है। कब तक हम धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनकर गोली के बदले प्यार की परिभाषा पर भाषण झाड़ते रहेंगे। इस प्रकार हत्या करना जेहाद की चरम सीमा है, लेकिन स्त्री अस्मिता पर लड़ने वाला हिन्दू समाज कानून की ओर ताक रहा है जबकि कानून सबके लिए बराबर है। नारी अस्मिता हमारी अस्मिता है। नारियों को  जेहाद और प्यार में अंतर को समझना होगा। परिवार के नैतिक संस्कारों को उन्नत करना होगा। तभी जेहाद जैसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता है।

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