लेक्चर जिहाद : कश्मीर में कक्षा व समाज में जहर घोलने वाले 4 ‘अध्यापक’ बर्खास्त

लेक्चर जिहाद : कश्मीर में कक्षा व समाज में जहर घोलने वाले 4 अध्यापक बर्खास्त

लेक्चर जिहाद : कश्मीर में कक्षा व समाज में जहर घोलने वाले 4 अध्यापक बर्खास्त

70 सालों तक शिक्षा के क्षेत्र में हावी रहे वामपंथियों ने स्कूली  पाठ्यक्रम से अच्छी खासी छेड़छाड़ की। ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करने के साथ ही सनातन धर्म पर चोट करने वाले कंटेंट को बढ़ावा देकर एक प्रकार के पाठ्यक्रम जिहाद को जन्म दिया। लेकिन अब वामपंथी व चरमपंथी गठबंधन इससे भी कई कदम आगे निकल चुका है। अब स्कूलों में लेक्चर जिहाद के मामले सामने आ रहे हैं। पाठ्यक्रम से छेड़छाड़ के बजाय सीधे कक्षा में ही अध्यापक बच्चों के दिमाग में जहर घोल रहे हैं।

दिल्ली पब्लिक ग्लोबल स्कूल, गुरुग्राम में टीचर द्वारा सोशल साइंस की क्लास में कांग्रेस का प्रचार करने व बीजेपी और हिन्दुओं के विरुद्ध जहर उगलने की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद अब दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के चार सरकारी स्कूलों में अध्यापकों द्वारा बच्चों को जिहादी शिक्षा देने का मामला सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियों की इन पर नजर थी। बीते सप्ताह प्रशासन ने इन्हें सेवामुक्त कर दिया है।

इनमें हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रहे अब्दुल तांत्रे का भाई निसार तांत्रे, हुर्रियत की गतिविधियों से जुड़ा और छोटे गिलानी के नाम से कुख्यात मोहम्मद जब्बार पर्रे, जेल में बंद आसिया अंद्राबी के संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत की कार्यकर्ता और स्कूल में प्रिंसिपल रजिया सुल्तान व इसी संगठन से जुड़ी स्कूल अध्यापिका सकीना अख्तर के नाम शामिल हैं।

निसार तांत्रे : निसार तांत्रे अब्दुल तांत्रे का भाई है। 1990 में अब्दुल तांत्रे हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था और अनंतनाग के हाजी मोहल्ला बटेंगू स्थित सरकारी मिडिल स्कूल में अध्यापक भी। उसने छोटे भाई निसार अहमद तांत्रे को अपने ही स्कूल में अस्थायी अध्यापक नियुक्त करा दिया। कुछ समय बाद वह नियमित भी हो गया। हिजबुल कमांडर का भाई होने के नाते कोई उसका विरोध नहीं कर पाया। निसार तांत्रे ने सरकारी अध्यापक बनने के बाद न सिर्फ स्कूल के भीतर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी युवाओं में जिहादी मानसिकता पैदा करनी शुरू कर दी। निसार की गतिविधियों पर कई बार स्थानीय लोगों ने एतराज जताया, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने भी प्रशासन को आगाह किया, लेकिन जमात-ए-इस्लामी के सक्रिय कार्यकर्ताओं में शामिल निसार का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। निसार का एक बेटा पाकिस्तान में ही पढ़ाई कर रहा है और उसके बेटे का पाकिस्तान में सारा खर्च आईएसआई और हिजबुल का चीफ कमांडर मोहम्मद यूसुफ उर्फ सैयद सलाहुद्दीन उठा रहा है।

मोहम्मद जब्बार पर्रे : अनंतनाग के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में लेक्चरर मोहम्मद जब्बार पर्रे को भी पिछले सप्ताह ही सरकारी सेवा से बाहर किया गया है। वह दक्षिण कश्मीर में छोटा गिलानी के नाम से कुख्यात है। जब्बार जमात-ए-इस्लामी का जाना माना चेहरा है। उसके द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर सुरक्षा एजेंसियों की दृष्टि थी, लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे तत्वों ने उसका संरक्षण किया।

वह दक्षिण कश्मीर में हुर्रियत की गतिविधियों को आगे बढ़ाने से लेकर नौजवानों में जिहादी मानसिकता पैदा करने में लगा रहता था। उसने विभिन्न स्कूलों में जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई, जमात-ए-तुलबा का गठन किया और कई बार आतंकी समर्थक रैलियों का आयोजन किया। वह पत्थरबाजी के लिए भी माहौल तैयार करता था। बिजबिहेड़ा व उसके साथ सटे इलाकों में जब कोई आतंकी मारा जाता तो उसके जनाजे में भीड़ जमा करने और पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने की व्यवस्था वही करता था। उसने पिछले पॉंच सालों में लगभग डेढ़ दर्जन लड़कों को आतंकी बनाया। इसके अलावा मस्जिदों में वह अपने जिहादी भाषणों से नए लड़कों में जिहादी मानसिकता पैदा करता था। वह जैश के आतंकी कमांडरों के साथ भी जुड़ा था।

रजिया सुल्तान : खिरम, अनंतनाग के सरकारी स्कूल में हेडमास्टर रजिया सुल्तान के पिता सुल्तान बट जमात-ए-इस्लामी के कट्टर समर्थक थे, जिन्हें 1996 में आतंकियों ने सुरक्षाबलों का मुखबिर होने के संदेह में मार डाला था। रजिया सुल्तान को वर्ष 2000 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी। वह सरकारी नौकरी में रहते हुए देश की एकता व अखंडता के खिलाफ भड़काऊ बयान देती थी। क्लास में बच्चों के दिमाग में जहर भरने से लेकर अपने क्षेत्र में दुख्तरान और जमात की बैठकों का भी आयोजन करती थी।

सकीना अख्तर : सरकारी सेवा से निकाले गए अध्यापकों में सकीना अख्तर भी है। गोरजन खिरम के प्राइमरी स्कूल में वर्ष 2002 में वह अस्थायी तौर पर नियुक्त हुई और 2008 में उसकी सेवाएं नियमित कर दी गईं। वह दुख्तरान-ए-मिल्लत की एक सक्रिय कार्यकर्ता है और वह न सिर्फ स्कूल के भीतर बच्चों का जिहादी पाठ पढ़ाती थी बल्कि अपने क्षेत्र में लड़कियों और बच्चों की राष्ट्रविरोधी रैलियों का भी आयोजन करती थी।

कश्मीर में देश विरोधी राजनीति के चलते अभी तक सिर्फ वहॉं के मुट्ठी भर देश विरोधी तत्वों के चेहरे ही सामने आते थे। इनसे त्रस्त जनता के दुखों की रिपोर्टिंग कोई नहीं करता था। अब लोग समाज कंटकों के विरोध में खुल कर सामने आ रहे हैं और सुनवाई भी हो रही है।

अनंतनाग के निवासी फैयाज वानी कहते हैं कि ये सिर्फ चार नहीं हैं, यहां ऐसे चार हजार होंगे या उससे भी अधिक हो सकते हैं। ये लोग हिंदुस्तान के खजाने से वेतन लेते हैं, कश्मीरियों के खून पसीने की कमाई से जमा होने वाले टैक्स से इनकी तनख्वाह बनती है, उसके बावजूद ये कश्मीर के बच्चों को जिहादी और तालिबानी बनाकर मौत के रास्ते पर धकेलते हैं। ऐसे सभी लोगों को जब तक सरकारी तंत्र से बाहर नहीं किया जाएगा, कश्मीर में अमन नहीं लौटेगा।

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