वनवासी बंधुओं को समर्पित रहा कल्याण आश्रम कार्यकर्ताओं का कोरोना काल

कौशल

  • निराश्रित बच्चों को संभाला
  • हर माह के लिए राशन आदि की व्यवस्था की

उदयपुर, 09 जून। वनवासी बंधुओं की सेवा को समर्पित राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद ने कोरोना के संकटकाल में उन परिवारों को भी संभाला जो पहाड़ियों-वनों में बसी छोटी-छोटी ढाणियों में निवासरत हैं। उनमें अधिकतर परिवार जो दिहाड़ी पर निर्भर रहते हैं, दिहाड़ी बंद हो जाने से नियमित आमदनी को लेकर संकट की स्थिति में आ गए। कोटड़ा जैसे जंगलों और पहाड़ों वाले क्षेत्र में जहां प्रशासन भी अंदरूनी गांवों तक नहीं पहुंच सका, वहां वनवासी कल्याण परिषद के कार्यकर्ता 10-15 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंचे और उनकी मदद का हरसंभव प्रयास किया।

वनवासी कल्याण परिषद के प्रदेश मंत्री सुंदर कटारिया ने बताया कि 31 मई तक चले इस कोरोना सेवा कार्य के तहत 138 कार्यकर्ताओं ने सेवाएं प्रदान की जिनमें 7 महिलाएं भी शामिल रहीं। उदयपुर, सलूम्बर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, रावतभाटा, झालावाड़, बांसवाड़ा, पाली, सिरोही, राजसमंद, गोगुन्दा, कुशलगढ़, डूंगरपुर और जयपुर क्षेत्र में वनवासी परिवारों की सामने आई हर जरूरत पूरी की गई। परिषद की ओर से 3 हजार 678 परिवारों को राशन सामग्री पहुंचाई गई। कोटड़ा और पिण्डवाड़ा में मास्क बनाने का प्रकल्प भी शुरू किया गया और 2700 मास्क वितरित किए गए।

प्रदेश मंत्री कटारिया बताते हैं कि कोटड़ा तहसील उदयपुर जिले की वनवासी बहुल तहसील है जहां जंगलों और पहाड़ों में गहराई-ऊंचाई पर भी वनबंधु बसे हुए हैं। कोटड़ा के महाद गांव में निराश्रित बच्चों की जानकारी मिली। जब वहां पहुंचे तो अत्यंत करुणाजनक स्थिति सामने आई – बच्चे स्वयं ही घर में उपलब्ध थोड़े-बहुत आटे से खाना बनाने की तैयारी कर रहे थे। परिवार में पांच बच्चे थे, जिनमें सबसे बड़ी छठी कक्षा में पढ़ने वाली 11 साल की बच्ची चूल्हा जलाकर घर में उपलब्ध आटे से रोटी बना रही थी। घर में और तो कुछ था ही नहीं, शायद वह आटा भी पड़ोसियों से उपलब्ध हुआ था। वहां परिषद और भंसाली ट्रस्ट की ओर से राहत सामग्री सहित हर माह 800 रुपये भी देने की व्यवस्था की गई। ऐसे अंदरूनी बसे कई परिवारों तक परिषद के कार्यकर्ता पहुंचे। कोटड़ा के तहसीलदार, एसडीओ आदि अधिकारियों ने भी परिषद के कार्यकर्ताओं के इस सेवाभाव को उल्लेखित करते हुए कहा कि इतना अंदर तक समर्पित लोग ही जा सकते हैं।

वनवासी कल्याण परिषद की यह सहायता वनवासी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। कटारिया ने बताया कि जयपुर शहर में भी परिषद के कार्यकर्ताओं ने 300 जरूरतमंद परिवारों की मदद की। अपने घरों को पैदल लौटते प्रवासी बंधुओं को देवला, झालावाड़ आदि क्षेत्रों में भोजन कराने की व्यवस्था की। कुल प्रवासी बंधुओं को भोजन भी कराया गया। चार गांवों में कुल 46 घरों को सेनिटाइज किया गया। परिषद के 5 एकल विद्यालयों व छात्रावासों को प्रशासन ने एकांतवास केन्द्र भी बनाया। कुशलगढ़ छात्रावास पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था में काम आया। कुल 117 गांवों में सब्जी वितरण का कार्य किया गया जिससे 1100 परिवार लाभान्वित हुए। वनवासी कल्याण परिषद की ओर से सेवा का यह क्रम अभी जारी है।

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