वन्देमातरम व भारतमाता की जय के उद्घोष के बीच हुतात्मा दीपचन्द पंचतत्व में विलीन

हुतात्मा दीपचंद पंचतत्व में विलीन

हुतात्मा दीपचंद पंचतत्व में विलीन

सीकर, 3 जुलाई। वन्देमातरम व भारतमाता की जय के उद्घोष की गूंज के साथ हुतात्मा दीपचन्द वर्मा को गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। 11 जुलाई को अपने पिता के आगमन की सूचना से उत्साहित पांच पांच वर्ष के उनके दो जुडवां पुत्रों ने तिरंगे में लिपटे अपने पिता को अंतिम प्रणाम कर देशप्रेम का दृष्टांत प्रस्तुत किया। शाम छह बजे के लगभग शहीद के शव के आगमन से पूर्व ही केन्द्रीय रिजर्व पुलिस के महानिरीक्षक विक्रम सहगल ने शहीद की विधवा मां, दो भाइयों व तीन बहनों के साथ उनकी पत्नी सरोज, पांच वर्षीय जुड़वां पुत्रगण विनय व विनीत एवं तेरह वर्षीय पुत्री कुसुम को दीपचन्द वर्मा की गौरवगाथा सुना ढांढस बंधाया।

गांव बावड़ी की सीमा पर शहीद की पार्थिव देह के आगमन के साथ ही समूचा गांव व आसपास के ग्रामीणों ने देशभक्ति के नारे लगाकर अपनी श्रद्धांजलि दी। तिरंगे में लिपटे शहीद की पार्थिव देह को रैली के रूप में घर तक लाया गया। गांव की महिलाएं भी अपने घरों में खड़ी नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित कर रही थीं।

हुतात्मा दीपचंद की पार्थिव देह

 

अंतिम दर्शनार्थ रखी शहीद की पार्थिव देह को स्थानीय सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती सहित अनेक जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों व ग्रामीणों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। शहीद की अंतिम विदाई के पूर्व सभी धार्मिक क्रिया कर्मों के बाद शवदाह ग्रह में केन्द्रीय रिजर्व बल एवं राजस्थान पुलिस की टुकड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शहीद के पुत्रों ने चिता को मुखाग्नि दी। इस समय सभी की आंखें नम थीं। उपस्थितजनों ने देश के प्रति उनके समर्पण को समाजोत्तेजक प्रेरणा बताया।

उल्लेखनीय है कि जम्मू- कश्मीर के सोपोर में आतंकवादियों से लोहा लेते समय केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के पांच जवान शहीद हो गए थे। इनमें दीपचंद वर्मा भी शामिल थे। दीपचंद सीकर जिले के खंडेला उपखंड के बावड़ी गांव के रहने वाले थे। वे बारामूला जिले के सोपोर में गश्त कर रहे थे। इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षा बलों की टुकड़ी पर हमला कर दिया। हमले में दीपचंद घायल हो गए थे। उन्हें तत्काल आर्मी अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। शहीद ने मां प्रभाति देवी से फोन पर बातचीत में बताया था कि मेरी छुट्टी स्वीकृत हो गई है। मैं 11 जुलाई को आऊंगा। शहीद का परिवार अजमेर रहता है। शहीद के पिता का तीन वर्ष पहले ही निधन हो गया था।

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