वर्ल्ड बैंक ने अपने जी20 डॉक्यूमेंट में की भारत की प्रगति की सराहना
वर्ल्ड बैंक ने अपने जी20 डॉक्यूमेंट में की भारत की प्रगति की सराहना
वर्ल्ड बैंक की ओर से तैयार जी20 डॉक्यूमेंट में भारत की प्रगति की सराहना की गई है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने एक ऐसा कार्य केवल 6 वर्षों में किया है, जिसके लिए पांच दशक का समय लग जाता है।
जेएएम ट्रिनिटी ने वित्तीय समावेशन दर को 2008 में 25% से बढ़ाकर पिछले 6 वर्षों में 80% तक प्राप्त किया है, जिसके लिए इस तरह के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बिना 47 वर्ष लग सकते थे। वर्ल्ड बैंक ने जी20 के लिए पॉलिसी डॉक्यूमेंट तैयार किया है, जिसमें उसने भारत में जारी आर्थिक गतिविधियों की बहुत प्रशंसा की है, जिसमें डिजिटल इंडिया मुख्य है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट्स के अनुसार गत वित्त वर्ष में भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% के समान मूल्य का यूपीआई ट्रांजैक्शन हुआ है। डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्राक्चर ने नए ग्राहक पर बैंकों का व्यय लगभग समाप्त कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डीपीआई के उपयोग से भारत में बैंकों के ग्राहकों को शामिल करने की लागत 23 डॉलर (लगभग 1900 रुपये) से कम होकर 0.1 डॉलर (लगभग 8 रुपये) हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है, जिससे यूजर अनुकूल इंटरफेस, ओपन बैंकिंग सुविधाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ मिला है। यूपीआई प्लेटफॉर्म ने भारत में बहुत अधिक लोकप्रियता प्राप्त की है। मई 2023 में 9.41 अरब का लेनदेन हुआ। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यूपीआई ट्रांजैक्शन का कुल मूल्य भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘भारत ने पिछले एक दशक में डीपीआई का लाभ उठाते हुए विश्व के सबसे बड़े डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। इस पहल ने 53 केंद्रीय मंत्रालयों से 312 प्रमुख योजनाओं के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के खाते में 361 अरब डॉलर (लगभग 30 हजार अरब रुपये) का ट्रांजैक्शन सरल कर दिया। मार्च 2022 तक, इसने कुल 33 अरब डॉलर (लगभग 2,738 अरब रुपये) की बचत की, जो जीडीपी के 1.14% के बराबर है।’
वर्ल्ड बैंक के डॉक्यूमेंट में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रचर’ के बारे में बताया गया कि JAM (जन धन, आधार, मोबाइल), सभी के लिए बैंक खाते, आधार और मोबाइल कनेक्टिविटी से कई लोगों को लाभ हुआ है।
इससे भारत ने केवल 6 वर्षों में वित्तीय समावेशन लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, जो देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।