केवल भारत ही है जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है- डॉ. मोहन भागवत

केवल भारत ही है जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है- डॉ. मोहन भागवत

केवल भारत ही है जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है- डॉ. मोहन भागवतकेवल भारत ही है जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है- डॉ. मोहन भागवत

नई दिल्ली, 24 सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि World मार्केट की बात तो सब लोग करते हैं, केवल भारत ही है जो World फैमिली (वसुधैव कुटुंबकम) की बात करता है। केवल इतना ही नहीं, विश्व को कुटुंब बनाने के लिए हम कार्य भी करते हैं। वे संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच द्वारा डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र में आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे।

हमारी राष्ट्रीयता विषय पर डॉ. भागवत ने कहा कि प्राचीनकाल से ही हमारा देश विविधता का देश रहा है। हमारी भूमि ऐसी है वो सबको देती है, भूमि अन्न, जल तो देती ही है, साथ ही संस्कार भी देती है। इसलिए हम इसे भारत माता कहते हैं। हम इस भूमि के मालिक नहीं हैं, हम इसके पुत्र हैं। ये हमारी पुण्यभूमि है, कर्मभूमि है। हमारी एकता का सूत्र है संस्कृति और हम इसका प्रत्यक्ष आचरण करते हैं। हमें एक नहीं होना है, हम एक हैं। हमारे पूर्वजों ने ये सिखाया, बताया है। संस्कृति की सुरक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है, लड़ाइयां लड़ी हैं और हमारी पहचान ही भारत, पूर्वज, संस्कृति से है। हम इसे छोड़ेंगे नहीं। सभी पूजा, भाषा वाले लोगों में यह तीनों बातें होती हैं।

उन्होंने कहा कि पाश्चात्य देशों में नेशन का विकास और हमारे देश में राष्ट्र का विकास, इसका क्रम एकदम अलग है। हमारा नेशनलिज्म नहीं है, न ही राष्ट्रवाद है। हमारी तो राष्ट्रीयता है।

व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव और श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र ने कहा कि 36 वर्ष से संकल्प होनहार व जो विद्यार्थी साधन संपन्न नहीं हैं, उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है। उनके कार्य के लिए साधुवाद। संकल्प व्यवसायिक नहीं, सेवाभाव से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि संघ से प्रेरणा व जानकारी मिली है कि सामाजिक जीवन में भिन्न-भिन्न रूप से योगदान दे रहे लोग अलग-अलग कार्यं से जुड़कर देश के लिए काम कर सकते हैं।

व्याख्यानमाला के द्वितीय सत्र में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जगबीर सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

दूसरे सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. मोहन भागवत ने दोनों विषयों पर उपस्थित श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

संकल्प और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस विचार मंथन कार्यक्रम का यह आठवां संस्करण था। संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष कुमार तनेजा ने व्याख्यानमाला की विस्तृत भूमिका रखी। पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच के संयोजक डॉ. जी प्रसन्न कुमार, आईएएस (से.नि.) ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया और मंच संचालन केन्द्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने किया।

इंडियन पर्सपेक्टिव’ पुस्तक का विमोचन

व्याख्यानमाला के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संकल्प द्वारा संकलित पुस्तक भारतीय परिप्रेक्ष्य के अंग्रेजी संस्करण ‘इंडियन पर्सपेक्टिव’ का भी लोकार्पण किया। इस पुस्तक में पूर्व के वर्षों में आयोजित व्याख्यानमाला में पधारे वक्ताओं के व्याख्यानों का संकलन किया गया, जिनमें डॉ. कृष्ण गोपाल, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, गृहमंत्री अमित शाह, स्वर्गीय सुषमा स्वराज, स्वर्गीय अनिल माधव दवे सहित 12 प्रमुख वक्ताओं के व्याख्यान शामिल हैं। पुस्तक का संपादन केन्द्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी और समाजसेवी राजेन्द्र आर्य ने किया है। पुस्तक को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।

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